जर्जर भवनों में अब नहीं बैठेंगे परिषदीय विद्यालयों के बच्चे... 106 करोड़ रुपये की लागत से 557 विद्यालयों का हो रहा पुर्ननिर्माण

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के बच्चे अब जर्जर भवनों में नहीं बैठेंगे। प्रदेश सरकार ने जर्जर विद्यालय भवनों को खत्म करना का अभियान छेड़ा है। दो वर्ष में 283 करोड़ की लागत से 1835 विद्यालयों को बनाया गया है, वहीं सैकड़ों अन्य स्कूलों की मरम्मत से वे नए जैसे हो चुके हैं। पिछले दो वर्ष में 24 करोड़ रुपये से 578 विद्यालयों में वृहद मरम्मत कार्य कर उन्हें पढ़ाई के योग्य बनाया गया है। बेसिक शिक्षा के अधिकारियों के अनुसार वर्तमान वर्ष में 106 करोड़ रुपये की लागत से 557 स्कूलों का पुनर्निर्माण और 45 करोड़ रुपये से 1033 विद्यालयों में मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। परिषदीय विद्यालय परिसरों में जर्जर भवनों की पहचान और ध्वस्तीकरण कराया जा रहा है। इसके लिए तकनीकी समिति गठित की गई है जो नियमित निरीक्षण कर जर्जर भवनों का सत्यापन, मूल्यांकन, नीलामी और ध्वस्तीकरण सुनिश्चित करती है।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए निकटतम परिषदीय विद्यालय, पंचायत भवन या अन्य शासकीय भवनों में वैकल्पिक व्यवस्था कर कक्षाओं का संचालन सुनिश्चित किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराना है। वहीं महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बताया कि सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जर्जर भवनों में बच्चों का न बैठाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वहीं जर्जर भवन चिन्हित कर उनका पुर्ननिर्माण कराया जा रहा है।

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