बाराबंकी : छोड़े गए पानी से सरयू उफान पर, डूबे गांव, डरे लोग

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Published By Vinay Shukla
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खतरे के निशान से 48 सेमी ऊपर बह रही नदी, राहत इंतजामों पर उठे सवाल

बाराबंकी, अमृत विचार : खतरे के निशान से करीब 48 सेमी ऊपर बह रही सरयू नदी के जलस्तर में फिर बढ़ोत्तरी शुरु हो गई है। गिरजा बनबसा बैराज से करीब चार लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद नदी एक सेमी प्रति घंटा बढ़ रही है। इसका सीधा असर जलमग्न गांवों पर पड़ा है। बाढ़ का पानी अपनी जगह बनाता जा रहा। दर्जनों गांवों में घर, आंगनबाड़ी केन्द्र, अस्पताल, स्कूल सभी बाढ़ की चपेट में हैं। नदी के इस रूप से भयभीत प्रभावितों का सुरक्षित स्थलों की ओर बढ़ना जारी है। 

बुधवार को नेपाल के गिरजा, बनबसा बैराज से 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिसका असर तटवर्ती इलाकों में दिखाई देने लगा है। गुरुवार की शाम 5 बजे नदी का जलस्तर 106.550 सेमी दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 106.070 सेमी से 46 सेंटीमीटर ऊपर है। नदियों के रौद्र रूप को देखकर तराई क्षेत्रों में दहशत का माहौल बना हुआ है। रामनगर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुर्गापुर, तपेशिपाह, सिसौंडा, लहड़रा, कोरिन पुरवा, मढ़ना, केसियापुर, लोहटी जई व मथुरापुरवा गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं। बाढ़ का पानी अब संपर्क मार्गों, पुलियों और गांव की गलियों तक प्रवेश कर चुका है। कई जगहों पर पंचायत भवन, डामर सड़क और प्राथमिक विद्यालयों तक जलभराव हो गया है।

ग्रामीण नंगे पांव, साइकिल व मोटरसाइकिल के सहारे ऊंचे स्थानों तक आवश्यक वस्तुएं ला रहे हैं। ग्राम प्रधान सुशील कुमार यादव ने बताया कि घाघरा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और शुक्रवार तक कुछ घरों में पानी घुसने की आशंका है। कोरिन पुरवा और दुर्गापुर में कई छप्पर वाले घरों में पानी प्रवेश कर चुका है। ग्रामीणों ने शिकायत की है कि बाढ़ हर वर्ष आती है, लेकिन सरकार की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं किया जाता। लोगों ने मांग की है कि नदी किनारे रहने वाले परिवारों के लिए ऊंचे स्थानों पर अस्थायी आवास या राहत शिविर बनाए जाएं।

सूरतगंज क्षेत्र में भी सरयू नदी का पानी बेलगाम होकर तेजी से गांवों में घुस रहा है, जिससे बेलहरी, बाबापुरवा, केदारीपुर, लालपुरवा, मदरहा, क्योलीपुरवा, पूरनपुर, सुंदरनगर, बलाईपुर, संकटापुर व गुडियनपुरवा जैसे गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सुंदरनगर, कोड़री और लालपुरवा के करीब तीस से अधिक परिवारों ने घर छोड़ तटबंधों पर तिरपाल व झोपड़ियों में शरण ले ली है। प्रशासन द्वारा बनाए गए राहत केंद्र गांव से काफी दूर हैं, जिस कारण ग्रामीण वहां जाने को तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जानवरों की व्यवस्था व दूरी के कारण वह राहत केंद्र नहीं जा सकते। बीडीओ देवेंद्र प्रताप सिंह, तहसीलदार विपुल सिंह व सीओ फतेहपुर जगतराम कनौजिया समेत अधिकारियों की टीम मौके पर डटी हुई है और लगातार निगरानी कर रही है।

बाढ़ चौकियां स्थापित, भ्रमण कर रही टीमें : उपजिलाधिकारी रामनगर गुंजिता अग्रवाल ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राजस्व विभाग की टीमें लगातार भ्रमण कर रही हैं और रिपोर्ट तैयार की जा रही है। बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी गई हैं और ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।

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