बदायूं: बाढ़ के साथ कटान से ग्रामीणों की उड़ी नींद...उसहैत के कई गांवों में बरपा कहर
बदायूं, अमृत विचार। गंगा में नरौरा से छोड़े जा रहे पानी ने तटवर्ती इलाकों में तबाही मचा दी है। रैपुरा समेत कई गांवों में पानी भर गया है। तहसील प्रशासन की बेरुखी से नाराज ग्रामीणों ने रविवार को प्रदर्शन कर राहत सामग्री मुहैया कराने की गुहार लगाई। बाढ़ के साथ ही अब कटान का खतरा पैदा हो गया है। इस बार दो साल का रिकॉर्ड टूटा है। 2023 में इतनी अधिक मात्रा में गंगा में पानी छोड़ा गया था।
रविवार को नरौरा बैराज से गंगा में तीन लाख पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो अब गंगा में तबाही मचा रहा है। पिछले तीन दिन से बाढ़ का कहर झेल रहे ग्रामीणों ने प्रशासन की बेरुखी को लेकर आज प्रदर्शन किया। उसहैत के रैपुरा गांव में पानी भर गया है। साथ ही अहमदनगर बछौरा ,बेहटी, असमिया रफतपुर में घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। इससे लोग दहशत में हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में गंगा किनारे बसे गांव बेहटी, भकरी, असमिया रफतपुर, भुंडी, जटा व प्रेमी नगला में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बेहटी निवासी अमरपाल ने बताया गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।
अगर गंगा में जलस्तर इसी तरह बढ़ा तो कमलूनगला की गांव बेहटी भी गंगा में समा जाएगा। दो वर्ष पूर्व कमलूनगला गांव के सभी मकान गंगा में समा गए थे। इस बार भी जो बंधा पर झोपड़ियों में रहकर गुजारा कर रहे हैं उन्हें तहसील प्रशासन की ओर से कोई राहत सामग्री नहीं मिली है। इससे वह लोग परेशान हैं। असमिया रफतपुर में बाढ़ का पानी खेतों मे घुसने से धान व शकरकंद की फसल डूब कर नष्ट हो चुकी है।
रैपुरा गांव के अंदर पानी घुसने से अनेक ग्रामीण घर छोड़ कर बाहर निकल गए हैं। प्रेमी नगला में बाढ़ ने भारी तबाही मचा दी है। पूरा क्षेत्र बाढ़ में डूबा हुआ है। जलस्तर बढ़ने से धान, मक्का, शकरकंद, की फसल डूब कर नष्ट हो चुकी हैं। पानी और छोड़ा गया तो जटा प्रेमी नगला गांव गंगा में समा जाएंगे। बाढ़ के साथ ही कटान का खतरा पैदा हो गया है। कई गांवों की जमीन गंगा ने निगल ली है।
महावा नदी के तटबंध की ग्रामीण कर रहे मरम्मत
सहसवान क्षेत्र के महावा नदी पर बना तटबंध की हालत नाजुक है। कई जगह पर बांध में दरारें पड़ चुकी हैं। इनकी ग्रामीण खुद मरम्मत कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बाढ़ खंड के रवैये पर रोष प्रकट किया है। महावा नदी के पानी ने आस पास के लगभग आधा दर्जन गांवों को अपनी चपेट में लिया है। तहसील प्रशासन ने सभी ग्रामीणों को ऊंचे स्थानों पर जाने की हिदायत दी है। इसके बाद करीब दो सौ से अधिक ग्रामीण गांव छोड़ कर बाहर आ गए हैं। ग्रामीणों ने कहा उनके पशुओं को चारे की समस्या है। उनके पास न भूसा है न ही हरा चारा मिल रहा है जिससे पशु भूखे हैं।
कछला गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
कछला गंगा का जलस्तर 162, 89 सेंमी तक पहुंच चुका है जिससे गंगा का विकराल रूप लोगों को डरा रहा है। कछला गंगा से आगे हुसेनपुर बांध तक गंगा का पानी आस पास के क्षेत्र में तबाही मचा रहा है। गंगा के निकट बसे दुकानदारों को पहले ही हटा दिया गया है। अब फिर से पानी बढ़ने से किनारे के लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। गंगा में स्नान करने वालों को भी घाटों से दूर रहने को कहा गया है।
नरौरा से रविवार को करीब तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी डिस्चार्ज किया गया है। इससे तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का कहर बना हुआ है। कई गांवों में पानी घुस चुका है। अब बाढ़ ने उसहैत क्षेत्र में हालात बेकाबू कर दिए हैं। हालांकि सभी तटबंध मजबूत हैं कहीं से खतरे की सूचना नहीं है। उसहैत के सभी बांध संवेदनशील श्रेणी में हैं फिर भी अभी तक किसी को खतरा नहीं है। - नेशपाल, सहायक अभियंता, बाढ़ खंड
