राजा भैया का विजन 2047 पर खुला संदेश : “नेता-फकत आएंगे; राष्ट्र का एक स्वर ज़रूरी”
प्रतापगढ़, अमृत विचार : प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को विजन 2047 पर चल रही 24 घंटे की चर्चा में जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' ने कहा कि राजनीतिक दल और नेता आते-जाते रहते हैं, लेकिन राष्ट्र का एक दृष्टिकोण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन डॉक्यूमेंट पर सदन से राय मांगी जा रही है । यदि मान्य होगा तो अपनाएँगे, अन्यथा नहीं ,परन्तु राष्ट्र के एजेंडे पर समेकित सोच आवश्यक है।
राजा भैया ने अपने भाषण में जातिगत राजनीति का ज़िक्र करते हुए सीधे किसी एक दल का नाम नहीं लिया, परन्तु स्पष्ट कहा कि देश के सामने सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद है। उन्होंने अमरनाथ यात्रा के उदहारण से सुरक्षा की गंभीरता बताते हुए कहा कि किसी धार्मिक स्थल पर सुरक्षा के लिए बड़ी फोर्स तैनात रहती है और आतंकवादियों के हमले में लोगों की सुरक्षा ही प्राथमिकता होनी चाहिए “आतंकवादी पहचाने बिना ही किसी को निशाना बनाते हैं, वे जाति-धर्म नहीं पूछते।”
विजन 2047 की बहस में राजा भैया ने यह भी कहा कि यदि देश में सामाजिक-आर्थिक संसाधनों का बाँटकर विभाजन किया जाएगा तो वह उसे कमजोर ही करेगा। उनका कहना था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसमें हिन्दू समाज की एक बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कुछ सामाजिक व आर्थिक बिंदुओं पर कटाक्ष भी किया “देश के चार लाख मंदिरों से टैक्स और चढ़ावा लिया जा रहा है पर मस्जिदों और चर्चों से ऐसा नहीं हो रहा।”
उनके भाषण में यह भी कहा गया कि इतिहास में कई चुनौतियाँ रही हैं और आंतरिक संकट, यानी “आस्तीन के सांप”, बाहरी दुश्मनों से अधिक घातक सिद्ध होते हैं। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ देश ने आंतरिक गुटबाज़ी नहीं पालकर विकास की दिशा चुनी, जबकि यहाँ समय-समय पर आंतरिक खटास ने बाधाएँ खड़ी कीं।
विधायक ने समाज में व्याप्त विभाजनकारी प्रवृत्तियों पर चेतावनी देते हुए कहा कि “यदि आप बाँटेंगे तो कमजोर करेंगे” — इस कारण राष्ट्र की एकता और साझा दृष्टिकोण के पक्ष में उन्होंने जोरदार वकालत की। विजन 2047 पर चल रही चर्चा में अन्य सदस्यों ने भी अपने-अपने विचार रखे और कई प्रश्न उठाए गए। राजा भैया के तेवर और वक्तव्य सदन में चर्चा का प्रमुख केंद्र बने रहे।
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