केरल चुनाव से पहले लखनऊ के सबरीमाला मंदिर में हिंदुत्व की अलख जगाएंगे योगी, मंदिर प्रबंधकों ने मुख्यमंत्रीको भेजा आमंत्रण
लखनऊ, अमृत विचार: राजधानी लखनऊ में केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के हू-ब-हू मॉडल पर आधारित एक अयप्पा मंदिर है। वही सबरीमाला मंदिर जिसमें युवतियों के प्रवेश पर प्रतिबंध देशभर में चर्चा का विषय बना था। बाद में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था।
दरअसल, अगले वर्ष केरल में विधानसभा चुनाव है और इससे पहले ऐसे धार्मिक आयोजनों में दिलचस्पी न दिखाने वाला वहां का वामदल ‘अयप्पा संगमम’ कराने जा रहा है। हालांकि दिलचस्प यह होगा कि इधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजधानी लखनऊ में ही सबरीमाला मंदिर की तर्ज पर स्थापित अयप्पा मंदिर से हिंदुत्व की अलख जगा देंगे।
लखनऊ के गोमती नगर, विनीत खण्ड स्थित अयप्पा मंदिर के प्रबंधकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सितंबर में होने वाले आयोजन के लिए आमंत्रण पत्र भेजा है। मंदिर प्रबंधक बतौर मुख्य अतिथि योगी के कर कमलों से मंदिर के मुख्यद्धार का समर्पण (शुभारंभ) कराना चाहते हैं। आयोजकों को उम्मीद है कि 15 सितंबर के आसपास होने वाले इस आयोजन के लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से उन्हें एक-दो दिन में सीएम प्रोटोकॉल की सूचना मिल जाएगी।
याद हो कि साल 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन दिनों राम मंदिर को लेकर चल रही बहस के बीच दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला मंदिर की तरह ही राम मंदिर पर भी अपना फैसला देना चाहिए। योगी ने इस बयान के दौरान कहा था कि राम मंदिर का विषय धार्मिक मामला है और इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। उस वक्त उन्होंने सबरीमाला के नाम पर जनभावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए भी तत्कालीन केरल सरकार को कटघरे में खड़ा किया था।
फिलहाल केरल में वामदल सीपीआई (एम) की सरकार है, जिसे नास्तिक भी माना जाता है। लेकिन, यही दल इस बार भगवान अय्यपा का ‘आह्वान’करने जा रही है। 20 सितंबर से होने जा रहे इस तीन दिवसीय आयोजन में केरल के सभी पंथों के हिंदू संतों, उच्च ब्राह्मणों समेत सभी जाति वर्गों को आमंत्रित किया गया है। भगवान अयप्पा के नाम पर इस बार वाम दल की कोशिश उच्च जाति के हिंदुओं को साथ लाने की है। राजनीतिक विश्लेषक इसे 2018 के सबरीमाला संकट के बाद वामपंथी दल द्वारा खोए हुए हिंदू वोटों को वापस पाने की कोशिश मान रहे हैं। हालांकि इससे पहले भाजपा के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयप्पा मंदिर लखनऊ से ही वहां के राजनीतिक विरोधियों को जवाब दे सकते हैं।
वहीं, आयोजकों के मुताबिक सुदूर दक्षिण जाकर वहां के मंदिरों में अध्यात्मिक शांति पाने का अवसर अब लखनऊ में ही संभव है। यहां भगवान अयप्पा मंदिर आकर दक्षिण की ही धार्मिक परंपराओं, संस्कृति की अनुभूति होती है। इसे उत्तर प्रदेश और दक्षिण की संस्कृति को जोड़ने वाला संगम स्थल भी कह सकते हैं। इसीलिए मुख्यमंत्री जी को भी हमने यहां आमंत्रित किया है।
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