22nd National Book Fair : 11 दिन होगा पुस्तक मेला, लगेंगे 50 प्रकाशकों के 120 स्टाल, 4 सितंबर को राज्यपाल करेंगी उद्घाटन
लखनऊ, अमृत विचार: अशोक मार्ग स्थित बलरामपुर गार्डेन में 11 दिवसीय 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला 4 सितंबर से शुरू होगा। विजन 2047 : विकसित भारत - विकसित प्रदेश थीम पर आधारित इस पुस्तक मेले में 50 से अधिक प्रतिष्ठित प्रकाशकों के 120 से अधिक स्टॉलों लगेंगे। पुस्तक विमोचन के अलावा कवि सम्मेलन और मुशायरा भी होगा। मेला निदेशक आकर्ष चंदेल ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि 4 सितंबर को शाम 5 बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मेले का उद्घाटन करेंगी। लगभग 75 हजार वर्ग फीट में मेला लगाया जाएगा।
हिंदी, अंग्रेज़ी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य, शैक्षणिक, बाल साहित्य और समेत हजारों दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह रहेगा। पुस्तक मेला सभी आयु वर्ग के लिए साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र होगा। ये केवल पुस्तक मेला नहीं, ज्ञान और संस्कृति का उत्सव है। हर प्रकार के पाठकों की रुचियों को ध्यान में रखते हुए विविध प्रकाशनों को एकत्र किया जा रहा है। रोज सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक जारी इस मेले में खरीदी गई हर पुस्तक पर कम से कम 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
कहानी सत्र और प्रतियोगिताएं होंगी
चंदेल ने बताया कि बलरामपुर गार्डेन में वाटरप्रूफ पंडाल तैयार किया गया है। इसमें लेखक सत्र और पैनल चर्चा में प्रख्यात और नवोदित लेखकों के साथ विचार-विमर्श होगा। साहित्यिक कार्यक्रमों में पारंपरिक कवि सम्मेलन, मुशायरा और पुस्तकों के विमोचन के साथ बच्चों का कोना बाल पाठकों के लिए कहानी सत्र और प्रतियोगिताएं होंगी।
दिवंगत साहित्यकरों की स्मृति में होंगे कार्यक्रम
इस बार के पुस्तक मेले की ख़ास बात यह होगी कि अभी हाल में दिवंगत हुए साहित्यकारों की स्मृति में भी यहां कार्यक्रम होंगे। अनूप श्रीवास्तव, गोपाल चतुर्वेदी और डॉ. शंभूनाथ इत्यादि की स्मृतियां सजाई जाएंगी। मेले में आने वाले बच्चों के लिए ऐसी पुस्तकें मंगाई गई हैं जिससे उनमें पुस्तकों के प्रति आकर्षण बढ़े और उनका स्क्रीन टाइम कम हो। टीपी हवेलिया ने कहा कि पुस्तक मेला एक वार्षिक आयोजन है, जिसका उद्देश्य पठन संस्कृति को बढ़ावा देना और प्रकाशकों व लेखकों को अपने कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करना है। पुस्तक मेला यूपी मेट्रो, रेडियोसिटी, ओरिजिंस, किरण फाउंडेशन, ज्वाइन हैंड्स फाउंडेशन, लोकआंगन और विश्वम् फाउंडेशन्स के सहयोग से किया जा रहा है।
