Lucknow: पुलिस कर्मियों पर दर्ज डकैती के मामले की केस डायरी गायब, पूर्व IPS हबीबुल हसन व एसओ समेत 9 पुलिसकर्मी हैं आरोपी

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Published By Deepak Mishra
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मड़ियांव थाने में 16 जून 2006 को दर्ज हुई थी डकैती व एससी-एसटी की रिपोर्ट

लखनऊ, अमृत विचार। मड़ियांव थाने में पूर्व आईपीएस हबीबुल हसन, एसओ मड़ियांव समेत नौ पुलिसकर्मियों पर जून 2006 में दर्ज डकैती व एससी-एसटी मामले की केस डायरी गायब हो गई। केस डायरी को क्षेत्राधिकारी अलीगंज कार्यालय में 2018 में दाखिल कराया गया था। इसके बाद से कोई पता नहीं चला। कोर्ट की फटकार के बाद इंस्पेक्टर मड़ियांव ने इस मामले में हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार और कांस्टेबल प्रदीप मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

कोर्ट के आदेश पर 16 जून 2006 को मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने ये आदेश मड़ियांव के सुल्तानपुर गांव निवासी विट्टा देवी की याचिका पर दिया था। विट्टा देवी की तहरीर के मुताबिक 12/13 जून 2005 रात 1:30 बजे तत्कालीन क्षेत्राधिकारी हबीबुल हसन, एसओ मड़ियांव, एसआई डीएन सिंह, एसआई सुरेश कुमार सिंह, जीप चालक, थाने में तैनात मिश्रा सिपाही, दो दीवान सादी वर्दी व ठाकुर हरेंद्र सिंह उनके घर पहुंचे। सभी ने घर में तोड़फोड़ कर लाखों रुपये का सामान लूट लिया।

पीड़िता का आरोप था कि थाने से लेकर पुलिस के उच्चाधिकारियों तक से एफआईआर दर्ज कराने की गुहार लगाई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद कोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर घटना के एक वर्ष बाद मड़ियांव थाने में क्षेत्राधिकारी अलीगंज हबीबुल हसन, एसओ मड़ियांव, एसआई डीएन सिंह, एसआई सुरेश कुमार सिंह, जीप चालक, थाने के मिश्रा सिपाही, दो दीवान सादी वर्दी और ठाकुर हरेंद्र सिंह के खिलाफ डकैती, हमला करने और एससी-एसटी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले की विवेचना तत्कालीन एसपी ट्रांसगोमती को सौंपी गई।
108 माह चली जांच के बाद लगा दिया अंतिम रिपोर्ट

एफआईआर दर्ज करने के बाद पहला पर्चा 16 जून 2006 को काटा गया। इसके बाद जांच शुरू की गई। जांच अधिकारी ने करीब 87 पर्चे काटे। जांच पूरी करने में अधिकारी को 108 माह लग गया। इसके बाद 30 जून 2015 को अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई। जिसे थाने की जीडी में इंट्री कराया गया। कुछ दिनों बाद मामले में विधिक राय ली गई।

फिर से 40 पर्चे पूरक के काटे गए। जांच पूरी करने के बाद अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के लिए क्षेत्राधिकारी अलीगंज के कार्यालय में केस डायरी जमा कराई गई। वहां तैनात हेड कांस्टेबल सूर्य भान को 12 जुलाई 2018 को केस डायरी रिसीव कराई गई। थाने की जीडी में रात 11 बजे केस डायरी को मड़ियांव थाने में तैनात हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार को सुपुर्द करने की बात दर्ज की गई।

इंस्पेक्टर मड़ियांव द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के अनुसार थाने में तैनात हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार ने बताया कि कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कांस्टेबल प्रदीप मिश्रा को दिया गया है। परअंतिम रिपोर्ट के साथ केस डायरी कोर्ट तक नहीं पहुंची। जानकारी होने पर जांच कराई गई तो सामने आया कि केस डायरी मय अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल ही नहीं की गई थी।

सात वर्ष बाद दर्ज कराई गई एफआईआर

पूर्व आईपीएस, एसओ मड़ियांव समेत 9 पुलिसकर्मियों पर दर्ज मामले की केस डायरी गायब हो गई। इसकी जानकारी होने के बाद थाने में तैनात जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली। कोर्ट की फटकार लगने के बाद इसकी तलाश शुरू की गई। जब केस डायरी नहीं मिली तो इंस्पेक्टर मड़ियांव शिवानंद मिश्रा ने हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार और कांस्टेबल प्रदीप मिश्रा को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है।

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