KGMU: जिम जाने वाले युवाओं में बढ़ रहा पीठ दर्द... Spine Conclave  में विशेषज्ञों ने किया जागरूक

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
On

लखनऊ, अमृत विचार: जिम जाने वाले युवाओं में भारी वजन उठाने से रीढ़ को नुकसान पहुंच रहा है। उन्हें स्लिप डिस्क, पीठ दर्द और गंभीर मामलों में लकवा जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। ये जानकारी केजीएमयू आर्थोपैडिक्स विभाग के डॉ. शाह वलीउल्लाह ने छठा स्पाइन कॉनक्लेव में साझा की।

केजीएमयू आर्थोपैडिक्स विभाग ने शनिवार को होटल क्लार्क अवध में छठा स्पाइन कॉनक्लेव का आयोजन किया। इसमें डॉ. वलीउल्लाह ने बताया कि हम हर महीने 35 साल से कम उम्र के 60 से 70 युवा मरीजों में रीढ़ की हड्डी से संबंधित लम्बर डिस्क फ्रैक्चर, लिस्थेसिस और स्टेनोसिस देखते हैं। इसकी वजह आरामतलबी, मोटापा व फास्ट फूड है। काफी मरीज जिम में भारी वजन को उठाने की वजह से बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे मरीजों का समय पर इलाज जरूरी है। 90 प्रतिशत मरीजों का इलाज दवा और जीवनशैली में बदलाव से मुमकिन है। केवल 10 प्रतिशत मरीजों में ही ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। ऑपरेशन में एंडोस्कोपी विधि कारगर साबित हो रही है। कार्यक्रम में आर्थोपैडिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार, दिल्ली के डॉ. गुरु राज, पूर्ण के डॉ. शैलेश हडगावकर, दिल्ली के डॉ. तरुण सूरी, मुंबई के डॉ. नीरज वासवदा, डॉ. विशाल कुंदनानी, डॉ. संदीप केसरवानी, डॉ. हरप्रीत सिंह, डॉ. आशीष जान और डॉ. संजय यादव मौजूद रहे।
प्रशिक्षित ट्रेनर की निगरानी में ही करें कसरत

केजीएमयू ऑर्थोपेडिक्स विभाग के डॉ. शैलेंद्र सिंह ने कहा कि प्रशिक्षित ट्रेनर की निगरानी में ही जिम में कसरत करनी चाहिए। क्षमता से अधिक वजन उठाने से बचना चाहिए। भारी वजन से शुरुआत करने के बजाय धीरे-धीरे वजन बढ़ाना नुकसान से बचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। तली-भुनी वस्तु व फास्ट फूड के सेवन बचें। इससे बीमारी पनपने का खतरा बढ़ जाता है।

लंबे समय बैठने से बचें, टहलें

यूपीयूएमएस सैफई के कुलपति डॉ. अजय सिंह ने कहा कि रीढ़ की समस्याओं को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है। लंबे समय तक बैठने से बचें। बीच-बीच टहलें। स्वस्थ शरीर का वजन बनाए रखना और कार्यस्थल पर सही मुद्रा अपनाना। उन्होंने बताया कि ओपीडी में 70 प्रतिशत मरीज पीठ दर्द के आते हैं। उन्होंने कहा कि पीठ दर्द केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है, जिसके लिए जागरूकता और देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह भी पढ़ेंः Jasmine Lamboriya Won Gold: भारतीय महिला बॉक्सर ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2025 में जीता गोल्ड

संबंधित समाचार