धरा रह गया वायु गुणवत्ता सुधार का बजट, रैंकिंग में चौथे से  पिछड़कर 15वें स्थान पर पहुंचे... अधिकारियों की लापरवाही

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Published By Muskan Dixit
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सड़कों की मरम्मत और वायु प्रदूषण की रोकथाम पर नहीं किया खर्च

लखनऊ, अमृत विचार: वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाला बजट का नगर निगम उपयोग नहीं कर पाया। अधिकारियों की इस लापरवाही से लखनऊ की हवा की गुणवत्ता का स्तर गिर गया। वायु गुणवत्ता रैंकिंग में लखनऊ नगर निगम चौथे स्थान से लुढ़ककर 15 स्थान पर पहुंच गया। बारिश से खस्ताहाल सड़कों और गड्ढों से उड़ती धूल के निराकरण के लिए नगर निगम ने वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए मिली धनराशि खर्च नहीं की । जाम से निजात के लिए भी जरूरी उपाय नहीं किए। यही कारण रहा कि 2022 में देश में वायु सर्वेक्षण में प्रथम स्थान हासिल करने वाला लखनऊ नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही से रैकिंग में फिसलता गया।

सड़कों के गड्ढे भरने को डाल दी मिट्टी

राजधानी में इस बार जमकर बारिश हुई। जगह-जगह जलभराव के कारण सड़कें ज्यादा खराब हुईं। नगर निगम के सभी आठ जोनों में सड़कें खस्ताहाल हो गईं और गड्ढे हो गए। इन्हें चलने लायक बनाने के लिए नगर निगम ने मलबा डालने की जगह गड्ढों में मिट्टी डाल दी। वाहनों के गुजरने के दौरान सड़कों पर धूल उड़ती रही।, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ गया।

पेड़-पौधों और सड़कों की नहीं हुई धुलाई

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लगाए गए टावर के माध्यम से नगर निगम एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) की निगरानी करता है। जिस क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है वहां सड़कों पर पानी का छिड़काव और पेड़-पौधों की धुलाई करके सुधार किया जाता है। कूड़ा जलाने वालों पर नगर निगम कार्रवाई करने के साथ जुर्माना लगाता है। लेकिन नगर निगम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

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