Etawah News: एसएसपी की मां के इलाज के लिए चिकित्सककर्मियों को जबरन ले जाने पर दो सिपाही लाइन हाजिर

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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इटावा। इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की मां की गत दिनों देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद जिला चिकित्सालय के आपात सेवा में तैनात चिकित्सक को पुलिस द्वारा जबरन ले जाने पर विरोध दर्ज कराते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने ओपीडी की सेवाएं दो घंटे तक बंद रखी। पुलिस ने शनिवार को बताया कि एसएसपी ने मामले में दो सिपाहियों को लाइन हाजिर (पुलिस लाइन से संबद्ध) कर दिया है। 

सूत्रों के अनुसार 17 सितंबर की देर रात पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के एक डॉक्टर और एक कंपाउंडर को एसएसपी की मां का इलाज करने के लिए मजबूर किया। यह स्थिति तब सामने आई जब बुधवार रात एसएसपी की मां की तबीयत खराब हो गई।

कथित तौर पर एसएसपी ने सिविल लाइन पुलिस को एक डॉक्टर, खासकर एक निजी चिकित्सक को उनके आवास पर लाने का निर्देश दिया। हालांकि, एक उप निरीक्षक और तीन-चार सिपाही आधी रात के आसपास इटावा जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में पहुंच गए। 

डॉ. राहुल बाबू और फार्मासिस्ट शरद यादव ने बताया है कि वे उस समय ड्यूटी पर मौजूद थे तथा पुलिस ने उनसे एसएसपी आवास पर चलने को कहा। डॉ. बाबू ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने मना कर दिया और कहा कि वह अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ सकते। उन्होंने सुझाव दिया कि कोई दूसरा कर्मचारी जा सकता है, लेकिन पुलिस ने कथित तौर पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

डॉ. बाबू ने कहा, ‘‘ उपनिरीक्षक ने मेरा अपमान किया, मेरा मोबाइल फ़ोन छीन लिया और मुझे ज़बरदस्ती अपने साथ ले गए।’’ उन्होंने बताया कि एसएसपी के निर्देश पर पुलिस बाद में माफ़ी मांगने लौटी। अगले दिन, फार्मासिस्ट संघ के समर्थन से डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को अस्पताल की ओपीडी बंद करके इस घटना का विरोध किया। 

इस कार्रवाई से मरीज़ों और उनके परिजनों को असुविधा हुई। विरोध प्रदर्शन की सूचना मिलने पर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ब्रजेंद्र कुमार सिंह मध्यस्थता करने अस्पताल पहुंचे। सीएमओ ने पत्रकारों से बातचीत में पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, ‘‘कुछ घटनाओं को माफ़ नहीं किया जा सकता। दोषी पुलिसकर्मियों को सजा मिलनी चाहिए।’’ 

आश्वासन के बाद ओपीडी सेवाएं फिर से शुरू कर दी गईं। इस बीच वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने पत्रकारों के सामने स्पष्ट किया कि उन्होंने पुलिस को सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को नहीं, बल्कि एक निजी डॉक्टर को लाने के लिए कहा था। 

उन्होंने अपने पुलिसकर्मियों के कृत्य पर निराशा व्यक्त की और कहा कि सिविल लाइन थाना पुलिस ने ऐसा क्यों किया है, इस मामले की जांच पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ सिटी) को सौंपी गई है। एसएसपी ने बताया,‘‘ मेरे संज्ञान में आने से पर मामले में दो सिपाहियों-- अनिरुद्ध साहू और हितेश वर्मा को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया गया है।’’ 

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