बरेली बवाल की न्यायिक जांच को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बरेली में 26 सितंबर को हुई हिंसा, पुलिस लाठीचार्ज और प्रशासनिक बुलडोजर कार्रवाई को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव मो. यूसुफ अंसारी की ओर से अधिवक्ता सहर नक़वी और मो. आरिफ के माध्यम से दाखिल इस याचिका में घटना की न्यायिक जांच सहित कई महत्वपूर्ण मांगें की गई हैं।
याचिका में कहा गया है कि 26 सितंबर को बरेली में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए टकराव की जांच जिला जज स्तर के न्यायिक अधिकारी से कराई जाए, साथ ही लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए और बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए की गई बुलडोजर कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाई जाए और तोड़फोड़ से हुए नुकसान की भरपाई कराई जाए।
जिन मकानों और दुकानों को सीज किया गया है, उन्हें खोलने का आदेश दिया जाए, जिससे प्रभावित लोगों के रोजगार पर असर न पड़े। फर्जी एफआईआर दर्ज कर निर्दोष लोगों को फंसाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए।
बता दें कि 6 सितंबर को कानपुर में निकाले गए ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ से जुड़ी है, जिसमें ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे पोस्टर लेकर लोग शामिल हुए थे। इसके बाद विवाद बढ़ा और 26 सितंबर को बरेली में आईएमसी (इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा द्वारा प्रदर्शन का ऐलान किया गया। जुमे की नमाज के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े। बाद में विभिन्न थानों में 10 मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें सात में मौलाना तौकीर रजा को भी आरोपी बनाया गया।
इसके बाद पुलिस ने 81 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया और दो स्थानों पर बुलडोजर कार्रवाई की, जिसमें आईएमसी प्रवक्ता नफीस का बारात घर भी ध्वस्त किया गया। घटना के बाद प्रशासन ने बरेली में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं। अब इस पूरी कार्रवाई की न्यायिक जांच और पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट में उठाई गई है।
