कुपोषण का बदला रूप, प्रदेश में 37.1 फीसद बच्चे मोटापे के शिकार 

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार। जब भी कुपोषण की बात होती है तो लोगों के दिमाग में सबसे पहले कमजोर और दुबले-पतले लोग बच्चे आते हैं, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मोटापा अब बच्चों और बड़ों में कुपोषण का सबसे आम कारण बन चुका है। सितंबर में जारी ''चिल्ड्रेन इन इंडिया 2025'' रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 5 से 9 साल की आयु वर्ग के 37.1 फीसद बच्चों में हाई ट्राईग्लिसराइड यानी शरीर में वसा (फैट) का स्तर बहुत पाया गया, जो चिंता का विषय है। यह जानकारी संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली ने साझा की।

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डॉ. पियाली ने बताया कि मोटापे को लेकर सरकार भी गंभीर है। इस बार के पोषण अभियान की थीम में ''मोटापा निवारण- चीनी नमक एवं तेल के उपभोग में कमी को शामिल किया गया है। मोटापा भी कुपोषण का एक प्रकार है। वर्तमान समय में बच्चे उच्च वसा, उच्च चीनी, उच्च नमक, उच्च ऊर्जायुक्त और सूक्ष्म पोषक तत्वों रहित खाद्य पदार्थों के संपर्क में अधिक हैं। यह खाद्य पदार्थ कम लागत होने के कारण आसानी से उपलब्ध हैं। इसके समाधान के लिये ऐसे सहायक वातावरण और समुदायों का निर्माण आवश्यक है, जहां संतुलित आहार तथा नियमित शारीरिक गतिवधि को जीवनशैली का सहज, सुलभ और किफायती अंग बनाया जा सके।

उम्र छह वर्ष, वजन 28 किलो

एसजीपीजीआई की वरिष्ठ डायटीशियन डॉ. शिल्पी त्रिपाठी ने बताया एक केस का उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ दिनों पहले एसजीपीजीआई में इलाज के लिए एक छह वर्ष के बच्चे को लाया गया था। उसका वजन 28 किलो था, जबकि उसका वजन 18.3 किलोग्राम होना चाहिए था। पांच से नौ साल के बच्चों में सामान्य ट्राईग्लिसराइड 30-100 मिग्रा, डेसीलीटर होना चाहिए, लेकिन बच्चे का 200 मिग्रा, डेसीलीटर था। उसकी डायटरी इनटेक 2000 किलो कैलोरी थी। जिसमें 50 ग्राम प्रोटीन थी। बात करने पर पता चला कि वह बाहर के खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करता था। उसका डाईट प्लान बनाया गया। जिसमें हर दिन 1300 किलो कैलोरी और 1.5 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से प्रोटीन का सेवन करने की सलाह दी गई। दो माह बाद जहां उसका चार किलो वजन कम हुआ, वहीं ट्राईग्लिसराइड घटकर 150 मिग्रा, डेसीलीटर हो गया।

इन खाद्य पदार्थों का सेवन करें कम

•साधारण कार्बोहाईड्रेट जैसे मिठाई, शक्कर से बचें।
•तला हुआ खाना, जंक फूड, फास्ट फूड।
•मैदा, सफेद ब्रेड, नूडल्स, पिज्जा, पराठे, पूड़ी।

इन खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें

•उच्च फाइबर कार्बोहाइड्रेट भरपूर बीन्स सब्जियां, साबुत अनाज, फल, ब्राउन राइस, ओट्स, दलिया, क्विनोआ और मल्टीग्रेन आटा। उच्च फाइबर युक्त आहार के सेवन से वसा और चीनी का अवशोषण धीमा होता है और जिससे ट्राईग्लिसराइड का स्तर कम हो जाता है।
•दलहन व दालें : मसूर, चना, राजमा, लो-फैट दालें।
•अच्छी वसा : अलसी के बीज, चिया सीड्स, अखरोट, बादाम (कम मात्रा में)।
•ओमेगा-3 युक्त मछली, जैसे सालमन, सार्डिन (अगर नॉनवेज लेते हैं)।
•लो-फैट डेयरी : टोंड दूध, दही, छाछ।

जीवनशैली में शामिल करें

•नियमित व्यायाम, रोज 30 मिनट तेज चाल, योग, साइकिल, आउटडोर गेम्स खेलें।
•बच्चे को तीन से चार घंटे का अंतराल पर छोटे-छोटे संतुलित भोजन दें, लंबे समय तक भूखा न रखें।
•स्कूल जाने वाले बच्चों को लंच के साथ एक फल भी जरूर दें।

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