UP News: लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप, शिक्षक संघ शासन को भेजा पत्र
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व आईआईएम कोलकाता के निदेशक प्रोफेसर आलोक कुमार राय पर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, अवैध नियुक्तियों और मनमानी निर्णयों के आरोप लगाए हैं। इस बाबत शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. अरशद अली जाफ़री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रो. राय के कार्यकाल की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. अरशद अली जाफ़री ने शासन को भेजे अपने पत्र में कहा है कि लखनऊ विश्वविद्यालय, जो कभी प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में प्रतिष्ठित स्थान रखता था, आज वित्तीय संकट और प्रशासनिक अव्यवस्था से गुजर रहा है।
संघ ने कहा कि कुलपति के दावों के विपरीत, विश्वविद्यालय में प्रवेश दर में 37 प्रतिशत की गिरावट आई है और शिक्षकों-कर्मचारियों के वेतन भुगतान तक में कठिनाई आ रही है। डॉ. जाफ़री ने पत्र में आरोप लगाया कि प्रो. राय के कार्यकाल में विश्वविद्यालय में उच्च स्तर की वित्तीय अनियमितताएँ हुई हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब कोई परीक्षा आयोजित नहीं हुई, तब भी परीक्षा अनुदान से लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। वर्ष 2022-23 में विश्वविद्यालय की खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद कुलपति, शिक्षकों और कर्मचारियों को मानदेय के रूप में करोड़ों रुपये का वितरण किया गया।
आरोप यह भी है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी विभागाध्यक्षों के आकस्मिक अनुदान को शून्य घोषित कर दिया गया और विभागों द्वारा जमा किए गए प्रतिपूर्ति बिल लौटा दिए गए। वहीं, विवेकानंद द्वार, परीक्षा भवन, बाउंड्रीवॉल, सेल्फी पॉइंट जैसे अनावश्यक निर्माण कार्यों पर भारी व्यय किया गया। शिक्षक संघ ने कहा कि कई परियोजनाओं पर उद्घाटन पट्टिकाएँ काम पूरा होने से पहले ही लगा दी गईं, जिनमें राजनीति विज्ञान विभाग में संग्रहालय, रसायन विज्ञान में क्लस्टर लैब और संस्कृत विभाग में ज्योतिष परामर्श केंद्र शामिल हैं। दूसरी ओर, सौ साल पुराने भवनों और प्रयोगशालाओं की मरम्मत नहीं कराई गई।
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि कुलपति ने विश्वविद्यालय के खर्च पर कई विदेशी दौरे किए, जबकि टैगोर लाइब्रेरी में रुके हुए ई-कंटेंट और पुस्तक क्रय के भुगतान को फिर से मंजूरी दी, जिसे पहले भ्रष्टाचार की आशंका में रोका गया था। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के कबाड़ को 25 प्रतिशत कीमत पर बेचा गया, और बी.एड. प्रवेश परीक्षा 2020-21 में पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना अधिक खर्च किया गया। संघ ने कहा कि विभिन्न शोध पीठों के शोध अनुदान को निर्माण कार्यों में उपयोग किया गया और बड़ी संख्या में अवैध नियुक्तियां और पदोन्नतियाँ की गईं।
डॉ. जाफ़री ने आरोप लगाया कि प्रो. राय ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है और अपने व परिजनों के नाम पर लखनऊ व अन्य शहरों में संपत्तियाँ खरीदी हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है और कई महीनों से कर्मचारियों को वेतन भुगतान में कठिनाई हो रही है। उन्होंने शासन से अनुरोध किया है कि प्रो. आलोक कुमार राय के कुलपति पद संभालने के बाद से अब तक की संपूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक जांच कराई जाए ताकि विश्वविद्यालय में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
