लव बर्ड्स : लस्सी पर किया प्रपोज
मई 2018 की एक तपती दोपहर में वेटर ने तेजी से लस्सी के दो कुल्हड़ मेज पर रखें। उनमें से एक कुल्हड़ हल्का-सा डगमगाया, लेकिन एक नाजुक से हाथ ने उसे थामकर गिरने से बचा लिया। सामने बैठे लड़के को लगा कि जैसे डगमगाता हुआ कुल्हड़ और उसे थामने वाला हाथ उसका भविष्य हो।
इतने शॉर्ट नोटिस में, तपती धूप में भूखी-प्यासी कई ऑटो-टेपो बदलकर इस छोटे से रेस्तरां तक पहुंची लड़की वैसे तो भीतर ही भीतर झल्लाई हुई थी, पर फिर भी खुद को शांत रखते हुए धीमे से लस्सी का एक सिप लिया और पूछा- “हमें तो बच्चों के पास संडे को जाना था, आपने अचानक मुझे यहां क्यों बुला लिया?”
लड़के ने रेस्तरां के हल्के नीले कांच के बाहर कुछ यूं देखा जैसे शब्द तलाश रहा हो। फिर अपनी आंखों से काला चश्मा उतारकर मेज पर रखा और सीधे लड़की की आंखों में देखते हुए कहा- “मुझसे शादी कर लीजिए।” “क्या… मतलब?” लड़की लस्सी और शब्दों को साथ में घोलती हुई बोली- “आप समझ रहे हैं कि क्या बोल रहे हैं?”
“हां! देखिए, आप मेरा अतीत और वर्तमान सब जानती हैं। मेरे घर वालों को भी आप पसंद हैं और कहीं न कहीं आपको तो शादी करनी ही है न, तो मुझसे ही कर लीजिए।” लड़का, लड़की के ऊपरी होंठ पर लगी लस्सी की सफेद मूंछ को देखते हुए एक सांस में बोल गया। “नहीं, करनी नहीं है। मेरी शादी करीब-करीब फाइनल हो गई है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, बैंगलोर में। यहीं स्वरूप नगर में मकान है उनका और अब तो सगाई की डेट फाइनल होने वाली है।” लड़की ने सारी संभावनाओं पर पूर्ण विराम लगाते हुए कहा।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर यानी लाखों में कमाई और मैं एक अदना-सा कलम घसीटने वाला लेखक, जिसके नाम के साथ बदनामी ज्यादा जुड़ी है। उसका बड़ा घर और मेरा खानाबदोश-सा जीवन। उसका बेहतर और चमकदार भविष्य और मैंने तो आज तक आने वाले कल के बारे में सोचा तक नहीं। लड़का खुद-ब-खुद उस सॉफ्टवेयर इंजीनियर से अपनी तुलना करने लगा। लड़की भी चुप थी। उनके बीच का मौन अतीत बोल रहा था। उन्हें याद आ रहा था- एक व्हाट्सएप ग्रुप में पहली बार बात होना, हर इतवार साथ में अनाथ बच्चों के पास जाना, लड़के की किसी लड़की से दस साल पुरानी मोहब्बत का अंत होना और उस दौरान लड़की का उसे एक अच्छी दोस्त की तरह संभालना। कितना कुछ था, जो सिर्फ “प्रेम” शब्द में परिभाषित नहीं हो सकता था।
“ठीक है… पर अगर तुम मुझसे शादी करती हो, तो तुम्हें अपना शहर भी नहीं छोड़ना होगा और मैं तुम्हें खुश रखूंगा।” लड़के ने अंतिम बात कहकर आंखों पर चश्मा लगाते हुए वेटर को बिल लाने का इशारा किया। लड़की जानती थी, एक तरफ बैंगलोर वाला अनजान लड़का है और दूसरी तरफ उसका थोड़ा-सा अजीब दोस्त। एक तरफ सब सेट और एक तरफ सिर्फ संघर्ष, लेकिन वह जानती थी कि उसका दोस्त अब उसकी उम्र भर के लिए जरूरत है। “सगाई की डेट अभी फाइनल नहीं हुई है, शायद अब हो भी न।” लड़की ने हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा। “मतलब क्या?” अब हैरानी की बारी लड़के की थी। “मतलब लस्सी पिलाकर प्रपोज करने का तरीका एकदम घटिया था लेखक महोदय, पर फिर भी मैं इसे मना नहीं कर रही हूं। बाकी घर जाकर बताती हूं।”आज वह लड़का और लड़की इस शहर में “मृदुल-प्रिया” के नाम से जाने जाते हैं। लोग उन्हें प्रेम नहीं, दो अस्तित्वों की पूर्णता कहते हैं।-कपिल और मृदुल
