सप्ताह के प्रमुख व्रत
कालभैरव जयंती- 12 नवबंर
हिंदु धर्म में भगवान कालभैरव को भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है। धर्मग्रंथों में भगवान कालभैरव को समय एवं मृत्यु के स्वामी के रूप में वर्णित किया गया है। भैरव का शाब्दिक अर्थ ‘भय को नष्ट करने वाला’ होता है। तंत्र मार्ग में भैरव तंत्र उपासना का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। भूत, प्रेत, पिशाच आदि रक्षा तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्ति हेतु भगवान कालभैरव का पूजन किया जाता है, जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक भगवान कालभैरव की उपासना करता है उसके वह निर्भीक हो जाता है तथा उसके मन में व्याप्त समस्त ज्ञात-अज्ञात भय नष्ट हो जाते हैं।
उत्पन्ना एकादशी- 16 नवंबर
उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह न केवल भगवान विष्णु की उपासना का दिन है, बल्कि देवी एकादशी के प्राकट्य का उत्सव भी है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु की योगमाया शक्ति से देवी एकादशी का जन्म हुआ था, जिन्होंने असुर मुर नामक राक्षस का संहार किया था। यही कारण है कि इसे देवी एकादशी जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी से ही वर्षभर की सभी एकादशियों की परंपरा प्रारंभ हुई। इस व्रत के पालन से भक्तों को न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
