जंगल की दुनिया : लायन-टेल्ड मैकाक
लायन-टेल्ड मैकाक, जिसे हिंदी में सिंह पूंछ बंदर भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी घाटों की जैव-विविधता का अनमोल हिस्सा है। लगभग 60-65 सेंटीमीटर लंबे इन बंदरों का शरीर चमकीले काले फर से ढका होता है, जबकि गर्दन के चारों ओर फैला सिल्वर-व्हाइट अयाल इन्हें एक विशिष्ट और राजसी रूप देता है। पूंछ के सिरे पर मौजूद बाल इन्हें शेर जैसी छवि प्रदान करते हैं, इसी कारण इनका यह नाम पड़ा।
ये प्रजाति अत्यंत आर्बोरियल है अर्थात् यह अपना जीवन लगभग पूरी तरह पेड़ों पर बिताती है। वर्षावन की ऊंची छतरी में छलांग लगाते हुए ये बंदर अपने समूह के साथ भोजन की तलाश में घूमते हैं। इनके भोजन में मुख्य रूप से फल, बीज, पत्ते, फूल और छोटे-मोटे कीड़े शामिल होते हैं। इनके सामाजिक समूह आमतौर पर छोटे होते हैं, जिसमें एक प्रमुख नर, कई मादाएं और उनके शावक शामिल होते हैं।
इनका व्यवहार अत्यंत शांत और सतर्क होता है। मानव गतिविधियों से ये दूरी बनाए रखते हैं, इसलिए जंगलों में भी इनका देख जाना बहुत दुर्लभ माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में तेजी से हो रही वनों की कटाई, सड़क निर्माण और मानव बस्तियों के विस्तार ने इनके प्राकृतिक आवास को गहराई से प्रभावित किया है। International Union for Conservation of Nature (IUCN) ने इन्हें लुप्तप्राय श्रेणी में रखा है, जो बताता है कि इनका अस्तित्व गंभीर खतरे में है।
पश्चिमी घाट- दुनिया के आठ “हॉटस्पॉट्स ऑफ बायोडायवर्सिटी” में से एक इनका अंतिम सुरक्षित आश्रय बन चुका है। केरल के साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान, कर्नाटक के कुद्रेमुख और तमिलनाडु के अनामलाई क्षेत्रों में इनके संरक्षण के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। स्थानीय जनजातियों, वन विभाग और शोध संस्थानों के संयुक्त प्रयासों से इस प्रजाति को बचाने की कोशिश जारी है। लायन-टेल्ड मैकाक केवल एक बंदर नहीं, बल्कि पश्चिमी घाट की समृद्ध प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह एक ऐसी प्रजाति, जिसे बचाना हमारे पारिस्थितिक संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
