मेरा शहर मेरी प्रेरणा: प्रोफेसर वसीम बरेलवी बोले-अमृत विचार अपने नाम का हक अदा कर रहा 

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Published By Monis Khan
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“अमृत विचार अपने नाम का हक अदा कर रहा है। रचनात्मकता का प्रतीक बने। निर्भीक बने। विचारों के सतह पर भारतीय संस्कृति के महान आदर्शों के प्रचार-प्रसार की मिसाल कायम करे। इसी दुआ के साथ अमृत विचार की लंबी उम्र और तरक्की की दुआ। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी 

“कला और साहित्य समाज को जोड़ते हैं। फासले मिटाते हैं। मुशायरा-कवि सम्मेलन की एक रात, महीनों असर रखती है। बरेली नगर निगम द्वारा 1980 से सालाना कवि सम्मेलन-मुशायरा कराया जाता था। पांच-छह हजार लोग साथ बैठते। उसका असर ये था कि समाज में तल्खी या दूरियों की गुंजाइश नहीं थी। इसलिए मैं अक्सर कहता हूं कि भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए साहित्य को बचाना बेहद जरूरी है।” अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर प्रोफेसर वसीम ने एक बार फिर साहित्यिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर देते हुए ये संदेश दिया है। 

अमृत विचार के साथ बातचीत में प्रोफेसर वसीम बरेलवी कहते हैं कि, वैसे तो मैंने 1962 में बरेली कॉलेज ज्वॉइन करने के बाद ही साहित्यिक महफिलें आयोजित कराना शुरू कर दिया था। दिवंगत दिनेश जौहरी के साथ मिलकर कई क्लब और दूसरी संस्थाओं के जरिये साहित्यिक मंच सजाए। वह कहते हैं कि कविता और शायरी समाज में रचनात्मकता लाती हैं। सैकड़ों-हजारों लोगों को एक साथ बैठने का मौका मिलता है। लोग एक-दूसरे से मिलते हैं। जीवन के संघर्ष-मसलों पर चर्चा करते। इससे उनके दरम्यिान मुहब्बत बढ़ती है। किसी भी शहर के मिजाज को खुशगवार रखने के लिए साहित्यिक आयोजन बढ़ाने की बहुत जरूरत है। 

प्रोफेसर वसीम बरेलवी कहते हैं कि, साहित्य को बढ़ावा देने में अखबारों की बड़ी जिम्मेदारी है। करीब 10-11 साल पहले मैंने किसी मंच से कहा था कि, इस वक्त की पत्रकारिता तीन पायों पर टिकी है-राजनीति, खेल और फिल्म इंडस्ट्री...। इसमें एक पाया ‘साहित्य’ का जुड़ जाए तो हमारी संस्कृति में संरक्षित हो जाएगी। मुझे खुशी है कि मेरे उस पैगाम का असर हुआ। साहित्यिक महफिलें बढ़ीं हैं। वह कहते हैं कि समाज में भाईचारा, मुहब्बतें जिंदा रखने के लिए साहित्यिक कार्यक्रमों का सिलसिला बना रहना चाहिए। निश्चित रूप से समाज से तल्खियां मिटती जाएंगी। लोग एक-दूसरे के नजदीक आएंगे। सौहार्द और चिंतन का माहौल बनेगा।

एक नजर उपलब्धियों पर

फिराक गोरखपुरी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार-प्रथम 

यश भारती पुरस्कार 

बेगम अख्तर कलाधर्मी पुरस्कार 

नसीम-ए-उर्दू पुरस्कार 

राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) के उपाध्यक्ष

वर्ष 2016 से 2022 तक विधान परिषद सदस्य रहे। 

भारत शिक्षा सम्मान 

अमेरिका की सिटी काउंसिल ऑफ ह्युसटन से ‘ऑनरेरी सिटीजनशिप’ और गुडविल अंबेसडर अवार्ड

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