मेरा शहर मेरी प्रेरणा: पाकिस्तान जाकर शरणार्थियों को लाने वाले धर्मदत्त वैद्य ने कई बार मंत्री बन बरेली के लिए काम किया
पीलीभीत रोड स्थित ब्रह्मकुटी निवासी धर्मदत्त वैद्य पुत्र पंडित शिव दयाल ने बरेली के लिए काफी कुछ किया। 1929 में कांग्रेस का दामन पकड़ राजनीति में पर्दापण करने वाले धर्मदत्त भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तर प्रदेश और जिला बोर्ड बरेली के पदाधिकारी रहे।
नगर कांग्रेस कमेटी में बरेली अध्यक्ष रहे। 1952 से लेकर 1967 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। 1969 में पुन: विधानसभा सदस्य रहे। 1960 से 1962 तक उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री परिषद के सदस्य रहे और 1970 में भी उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रहे थे। भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। नौजवान भारत सभा पंजाब के कई वर्षों तक सदस्य रहने के साथ 1937 में रियासत पटौदी में प्रज्ञा परिषद का संगठन कर एक आंदोलन आरंभ किया था।
1942 में रुहेलखंड और कुमाऊं में आंदोलन संगठित करने के लिए प्रवेश द्वारा आर्गनाइजर नियुक्त किए गए थे। 1947 में पाकिस्तान जाकर शरणार्थियों का भारत में वापस लाने के सिलसिले में लायलपुर में कुछ समय तक नजरबंद किए गए। वर्तमान में धर्मदत्त की विरासत डॉ अनुपम शर्मा संभाले हुए हैं।
कोई विधायक तो कोई जिला परिषद का अध्यक्ष बन बरेली के लिए जिया
श को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने के साथ बमनपुरी निवासी नौरगंलाल पुत्र शंकर लाल ने 1962 से लेकर 1967 तक विधायक रहकर विधानसभा में बरेली की आवाज बुलंद की थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने पर उन्हें छह माह कैद हुई थी। भारत छोड़ो आंदोलन में 9 अगस्त 1942 में जेल गए और 1944 से सेंट्रल जेल बरेली से छूटे थे। जिला भ्रष्टाचार निरोधक समिति के अध्यक्ष रहे। वहीं, भुता थाना क्षेत्र के बुधौली निवासी पृथ्वी राज सिंह डिप्टी कलेक्टर का पद त्यागकर आजादी की लड़ाई में कूदे थे। 19 वर्षों तक जिला कांग्रेस कमेटी बरेली के अध्यक्ष रहे। 1937 में विधानसभा के सदस्य भी रहे थे। रामबाग निवासी प्रताप चंद्र आजाद पुत्र रंगीलाल सिन्हा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गए।
1947 में उत्तर प्रदेश छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए और फिर उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने और इसके बाद जिला परिषद बरेली के अध्यक्ष। उन्होंने बरेली के लिए काफी कुछ किया। वहीं, कूचा सीताराम निवासी ब्रज मोहन लाल शास्त्री पुत्र भजन लाल ने आजादी की अलख जगाने के साथ नगर और जिला परिषद के अध्यक्ष रहकर सामाजिक कार्य किए। उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहकर बरेली की आवाज उठाई। असहयोग आंदोलन में पढ़ाई छोड़ने वाले ब्रज मोहन को 1930 में आईपीसी की धारा 124 में दो वर्ष की सजा हुई थी। ग्राम चठिया निवासी बाबूराम पुत्र भोलानाथ आजादी मिलने के बाद 1957 में विधानसभा सदस्य चुने गए थे। बुधौली निवासी मोती सिंह वकील बरेली जिला बोर्ड के चेयरमैन रहे थे। नवाबगंज तहसील के बीजामऊ निवासी शिवराज बहादुर पुत्र मुंशी हजारी लाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य रहकर बरेली को आगे बढ़ाया।
