मकर संक्रांति पर ये वस्तु करें दान, हो जाएंगे मालामाल!

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नई दिल्ली। देश भर में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, तप, जप, तथा अनुष्ठान के साथ ही दान का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। इस त्योहार का संबंध केवल धर्मिक ही …

नई दिल्ली। देश भर में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, तप, जप, तथा अनुष्ठान के साथ ही दान का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। इस त्योहार का संबंध केवल धर्मिक ही नहीं है बल्कि इसका संबंध ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। इस दिन से दिन एवं रात दोनों बराबर होते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति वाले दिन लोगों के गंगा में डुबकी लगाने और दान करने से लोगों को सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है और इंसान को जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

प्रिय वस्तु दान करने से बरसती है सूर्य की कृपा
ज्योतिष विद्वान आचार्य राकेश झा ने बताया कि भगवान सूर्य शनिदेव के पिता हैं। सूर्य और शनि दोनों ही ग्रह पराक्रमी हैं। ऐसे में जब सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो शनि की प्रिय वस्तुओं के दान से भक्तों पर सूर्य की कृपा बरसती है। साथ ही मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है। मकर संक्रांति के दिन तिल निर्मित वस्तुओं का दान शनिदेव की विशेष कृपा को घर परिवार में लाता है। मकर संक्रांति के दिन मकर राशि में एक साथ पांच ग्रह विराजमान रहेंगे। सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु एव शनि इन सबकी मौजूदगी से शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन दान-पुण्य, गंगा स्नान, पूजा-पाठ, गरीबों की सेवा आदि धार्मिक कार्य करने से इसका कई गुना फल प्राप्त होगा। इस दिन सूर्य को जल में रोली, गुड़, तिल मिलाकर अर्घ्य देने से रोग, शोक दूर तथा स्वास्थ्य लाभ, प्रखर बुद्धि, ऐश्वर्य, मुख मंडल पर तेज का निखार होता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।

गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व
आचार्य राकेश झा ने बताया कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इसके साथ ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाएंगे और खरमास समाप्त हो जाएगा और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात के तौर पर माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान, तप, जप, आदि का अत्यधिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार को खिचड़ी खाने से दरिद्रता आती है, लेकिन विशेष मुहूर्त या अवसरों पर यह मान्यता लागू नहीं होती है, इसीलिए 14 जनवरी को गुरुवार होने के बावजूद श्रद्धालु खिचड़ी ग्रहण करेंगे। सूर्य के उत्तरायण होने से मनुष्य की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

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