दिल्ली सरकार और एम्स बताएं, सिजोफ्रेनिया के इलाज की क्या है व्यवस्था: अदालत
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से पूछा है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास कोई ऐसी सुविधा है जहां सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रोगियों का उपचार होता है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने दिल्ली सरकार और एम्स को 27 अप्रैल को सुनवाई की …
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से पूछा है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास कोई ऐसी सुविधा है जहां सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रोगियों का उपचार होता है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने दिल्ली सरकार और एम्स को 27 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख से पहले ऐसी सुविधाओं की एक सूची पेश करने को कहा।
अदालत ने इसी तरह का निर्देश उस महिला तरफ से पेश हुए वकील को भी दिया जिसने अपने 32 वर्षीय बेटे की मानसिक हालत और उसके कारण आक्रामक व्यव्हार के मद्देनजर सरकार से सहायता और एम्स से उपचार समेत विभिन्न राहतों की मांग की थी। अदालत ने उल्लेखित किया कि एम्स ने महिला के बेटे की जांच की थी और उसके सिजोफ्रेनिया से पीड़ित होने का पता चला था। नियमों के मुताबिक कोविड-19 की जांच करने के बाद उसे अस्पताल के मनोरोग विभाग में भर्ती किया जाना था।
अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया, मरीज हालांकि भर्ती होने से पहले अस्पताल परिसर से भाग गया था। अदालत ने कहा, ”मामले की प्रकृति और याचिकाकर्ता (महिला) के बेटे की चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता के वकील और प्रतिवादियों (आप सरकार और एम्स) के लिए पेश अन्य अधिवक्ताओं को यह निर्देश देना उचित प्रतीत होता है कि वे दिल्ली और उसके आसपास स्थित उन सुविधाओं की एक सूची मुहैया करायें जहां सिजोफ्रेनिया रोगियों को देखभाल और उपचार प्रदान किया जाता है।”
अदालत ने उस इलाके के पुलिस थाने से भी कहा कि जब भी महिला फोन करे तो उसकी चिंताओं का तत्काल समाधान करे। अदालत ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस अधिकारियों को उसके घर पर कोई नियमित दौरा करने की जरूरत नहीं है, जब तक कि वह मदद के लिए फोन न करे।
