बरेली: मनरेगा योजनों के कामों की निगरानी करेंगी महिला मेट
बरेली, अमृत विचार। महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक और पहल की गई है। अब स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मेट बनकर मनरेगा योजना के कामों की निगरानी करेंगी। उन्हें मानदेय दिया जाएगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के निदेशक का पत्र मिलने के बाद योजना पर काम शुरू हो गया है। …
बरेली, अमृत विचार। महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक और पहल की गई है। अब स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मेट बनकर मनरेगा योजना के कामों की निगरानी करेंगी। उन्हें मानदेय दिया जाएगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के निदेशक का पत्र मिलने के बाद योजना पर काम शुरू हो गया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में चार हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह संचालित हैं। इनमें से कई समूह की महिलाएं सामुदायिक शौचालय का संचालन, बिजली बिल जमा कराने, राशन की दुकान के संचालन की जिम्मेदारी निभाने के साथ सीआइबी बोर्ड बनाने का कार्य कर रही हैं। अब इन समूह की महिलाओं को शासन ने मेट बनाने के लिए हरी झंडी दी है।
एसआरएलएम के संयुक्त मिशन निदेशक प्रदीप कुमार की ओर से जारी पत्र के मुताबिक महिला मेट के चयन और उनके कार्य दायित्व के जो मानक तय किए हैं, उनके आधार पर ही महिलाओं को उसी ग्राम पंचायत में कार्य करने का मौका मिलेगा, जहां की वह मूल निवासी है। समूह की महिला का मेट के रूप में चयन 20 से 40 श्रमिकों पर होगा। चयन उसी महिला का हो सकेगा, जिसका समूह छह माह पूर्व गठित हो चुका हो।
साथ ही समूह में ऋण वापसी की दर 60 प्रतिशत से अधिक हो और समूह की बचत तीन हजार रुपये से अधिक होनी चाहिए। इस तरह महिला मेट चयन पात्रता के दायरे में वही समूह लाए जाएंगे जो बेहतर तरीके से संचालित हो रहे हैं। उपायुक्त मनरेगा गंगराम वर्मा का कहना है कि इसके तहत चयनित महिलाएं मनरेगा में मजदूरों और कार्यों की निगरानी करेंगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।
कार्यों में पारदर्शिता व गुणवत्ता बनी रहे। उन्होंने यह भी बताया कि मेट शिक्षित होनी चाहिए एवं उसने कुछ दिनों तक मनरेगा में कार्य किया हो। अति गरीब को वरीयता, एक मेट के रूप में कार्य करने वाला एक ही समय में एक ही कार्यस्थल पर श्रमिक व मेट नहीं होना चाहिए।
