लखीमपुर-खीरी: कैसे हो माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

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लखीमपुर-खीरी, अृमत विचार। जिले में माध्यमिक शिक्षा की स्थिति बदहाल है। पिछले दिनों डीआईओएस के निरीक्षण में यह बात फिर एक बार सामने आ गई। इसके पीछे मुख्य वजह विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां कस्बा धौरहरा के राजकीय इंटर कालेज में 965 बच्चों को …

लखीमपुर-खीरी, अृमत विचार। जिले में माध्यमिक शिक्षा की स्थिति बदहाल है। पिछले दिनों डीआईओएस के निरीक्षण में यह बात फिर एक बार सामने आ गई। इसके पीछे मुख्य वजह विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां कस्बा धौरहरा के राजकीय इंटर कालेज में 965 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र 4 शिक्षक हैं। इसमें एक प्रधानाचार्य हैं। ऐसे में यहां की शिक्षण व्यवस्था का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

जिले के लगभग सभी राजकीय कालेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है। पिछले वर्ष कोरोना संकट के चलते बच्चे एक वर्ष से घर बैठे रहे। इस दौरान पढ़ाई पूरी तरह से ठप रही। इस सत्र में स्कूलों का संचालन शुरू हुआ तो बच्चों को फिर से अपडेट करने के साथ उन्हें परीक्षा की चुनौती स्वीकार करने योग्य बनाना है लेकिन यह चुनौती पूरी कैसे होगी यह बड़ा प्रश्न है।

धौरहरा कस्बे में करीब छह वर्ष पूर्व राजकीय इंटर कालेज की स्थापना हुई थीं। तब यहां एक शिक्षक विनोदकुमार की तैनाती की गई थी। तब से यहां केवल अभी तक तीन और शिक्षक मिले। विनोद कुमार पर प्रधानाचार्य के दायित्वों के निर्वहन की भी जिम्मेदारी हैै। अब यहां 965 शिक्षकों पर केवल तीन शिक्षक हैं। जबकि एक क्लास में 60 बच्चे होते है। इस हिसाब से देखा जाए तो लगभग 15 शिक्षक होने चाहिए।

किसी तरह से चलाया जा रहा है काम
शिक्षकों के बारे में कितनी ही बार मांग की गई। शिक्षक मिल ही नहीं रहे है। ऐसे में चार शिक्षक किसी तरह बच्चों को बैठा पाते हैं। कोशिश की जाती है। जितना किया जा सकता है करते हैं। शिक्षकों की कमी से सभी कक्षाएं विधिवित नहीं चल पाती है। -विनोद कुमार, प्रधानाचार्य, जीआईसी

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