लखीमपुर खीरी हिंसा: आखिर कहां पर हुई चूक…बोलने को तैयार नही अफसर
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। तिकुनियां में हुई हिंसा प्रशासन की बड़ी चूक मानी जा रही है, लेकिन जिम्मेदार पुलिस व प्रशासन के अधिकारी इस चूक को नजर अंदाज कर पर्दा डालने की कोशिश में हैं। तीन अक्टूबर का दिन जिले के लिए काला साबित हुआ था। तिकुनियां में किसानों के प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय मंत्री …
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। तिकुनियां में हुई हिंसा प्रशासन की बड़ी चूक मानी जा रही है, लेकिन जिम्मेदार पुलिस व प्रशासन के अधिकारी इस चूक को नजर अंदाज कर पर्दा डालने की कोशिश में हैं। तीन अक्टूबर का दिन जिले के लिए काला साबित हुआ था। तिकुनियां में किसानों के प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय मंत्री के बड़े बेटे आशीष मिश्रा की थार गाड़ी से चार किसानों की कुचलकर हुई मौत के के बाद हिंसा भड़क उठी थी और प्रदर्शन कर रहे किसान बेकाबू हो गए थे।
इस हिंसा में किसानों, एक पत्रकार समेत आठ लोगों की जिंदगी लील ली। शायद ऐसी वीभत्स घटना जिले में पहली बार हुई। किसी ने भी इस शांति प्रिय क्षेत्र में देश को झकझोर देने वाली घटना सपने में भी नहीं सोची थी। पूरी घटनाक्रम पर यदि नजर डाले तो इसमें प्रशासन की भी बड़ी चूक सामने आई है। क्षेत्रीय लोग भी घटना के पीछे सरकारी मशीनरी की चूक मान रहे हैं।
किसानों की भीड़ का अंदाजा न लगा पाना और हजारों की तादात से अधिक किसानों के पहुचने के बाद भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न करना पुलिस व प्रशासन की सबसे बड़ी चूक मानी जा रही है। दूसरी बड़ी चूक प्रशासन ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को कार्यक्रम स्थल पर जाने देने को लेकर कर दी।
लोगों का कहना है कि जब हजारों की संख्या में किसान थे तो प्रशासन को डिप्टी सीएम का तिकुनियां आने का कार्यक्रम निरस्त करा देना चाहिये था। तीसरी सबसे बड़ी चूक प्रशासन ने स्थानीय अभिसूचना ईकाई की रिपोर्ट को अनदेखा कर की। अब अधिकारी प्रशासन की चूक को अनदेखी कर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। इस बावत कोई अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
