बरेली: कोरोना से बचाव की गाडियों को सहगल ने किया रवाना

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बरेली, अमृत विचार। कोरोना से बचाव के दृष्टिगत हाईस्पीड स्प्रिंकलर माउंटेन मशीन की 16 छोटी गाड़ियों को अपर मुख्य सचिव व नोडल अधिकारी डा. नवनीत सहगल ने गुरुवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शहर के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इन गाडि़यों को मुहैया कराया गया है ताकि वहां अच्छे से सेनेटाइजेशन हो सके। नगर निगम …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना से बचाव के दृष्टिगत हाईस्पीड स्प्रिंकलर माउंटेन मशीन की 16 छोटी गाड़ियों को अपर मुख्य सचिव व नोडल अधिकारी डा. नवनीत सहगल ने गुरुवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शहर के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इन गाडि़यों को मुहैया कराया गया है ताकि वहां अच्छे से सेनेटाइजेशन हो सके। नगर निगम मुख्य गेट पर वाहनों को रवाना करते समय डीएम मानवेंद्र सिंह, नगर आयुक्त अभिषेक आनंद समेत फायर सर्विस के अफसर मौजूद रहे।

नोडल अधिकारी ने कहा कि कोविड अस्पतालों के साथ ही जिला अस्पताल के उपकरणों को तत्काल कार्यशील कर लें ताकि आवश्यकता पड़ने पर कोई समस्या न आए। उन्होंने जनपद में टीकाकरण के कार्य में तेजी लाने तथा सैनेटाइजेशन आदि के कार्यों पर संतोष व्यक्त कर कहा कि ऑक्सीजन तथा जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता को भी सुनिश्चित करें। कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से लगातार रोगियों को संपर्क करने की प्रक्रिया में कोताही नहीं होनी चाहिए। इससे पूर्व अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन खादी एवं ग्रामोद्योग, हथकरघा एवं रेशम तथा सूचना डॉ. नवनीत सहगल ने गुरुवार को चौबारी के बभिया में सहज भारत हाइड्रोफार्म का निरीक्षण किया और कार्यप्रणाली की प्रशंसा करते हुए इस प्रकार के और फार्म खोलने की बात पर बल दिया।

इस फार्म पर डॉ. सहगल ने करीब आधे घंटे तक इसकी लेयरिंग आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की और इसके संचालक से खेती की इस पद्धति के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की खेती को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। उनके साथ सीडीओ चन्द्र मोहन गर्ग भी मौजूद रहे। इस हाइड्रोफार्म के प्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि यह देश का पहला 8 लेयर हाईड्रोपोनिक फार्मिंग प्रोजेक्ट है। बताया कि यहां पर जो फसल उगाई जा रही है, वह मिट्टी पर नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के पाइप की लेयर तैयार कर उन पर खेती की जाती है। पूरा प्लांट स्वचलित है और सुरक्षित भी। इस खेती में किसी प्रकार की रासायनिक खाद का भी प्रयोग नहीं किया जाता। फिलहाल इसमें स्ट्राबेरी की खेती की जाती है।

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