हरदोई: आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस का हाल बेहाल, सालों से बेजान पड़े कीमती डीप फ्रीजर

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हरदोई। शहर में कभी चीरघर हुआ करता था। जहां एक खुले बरामदे में घंटों लाशे रखी रहती थी। जिसकी वजह से कोई कितनी भी हिम्मत वाला क्यों न हो, वहां कदम तक रखने से सहम जाता था। वक्त के साथ-साथ हालात बदले,काफी जद्दोजहद के बाद आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस बन कर तैयार हो गया। पहले तो …

हरदोई। शहर में कभी चीरघर हुआ करता था। जहां एक खुले बरामदे में घंटों लाशे रखी रहती थी। जिसकी वजह से कोई कितनी भी हिम्मत वाला क्यों न हो, वहां कदम तक रखने से सहम जाता था। वक्त के साथ-साथ हालात बदले,काफी जद्दोजहद के बाद आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस बन कर तैयार हो गया।

पहले तो सारा कुछ पटरी पर रहा,उसके बाद बे-पटरी हो गया। वहां लाशों को रखने के लिए डीप फ्रीजर तो है, लेकिन अनदेखी के चलते सभी डीप फ्रीजर सालों से बंद पड़े हैं। ऐसे में वहां 72 घंटे तक रखी जाने वाली लाशें खुद पनाह मांग रहीं हैं। कई चिट्ठी-पत्री लिखी गई, लेकिन ज़िम्मेदार तब भी खामोश थे,आज भी खामोश है।

बात की जा रही है लखनऊ रोड पर बनाए गए आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस की। सन् 2018 में वजूद में आए इस पोस्टमार्टम हाउस की हालत बद से बद्तर हो गई है। लाशों को रखने के लिए यहां 6 डीप फ्रीजर लगाए गए हैं। लेकिन कई साल हो गए सबके सब डीप फ्रीजर बेकार पड़े हैं।

दरअसल डीप फ्रीजर लगाने का मकसद था कि जो लावारिस लाशें होती है।उनकी शिनाख्त की मियाद 72 घंटे तक की होती है। लाशों को 72 तक सुरक्षित रखना बड़ी ज़िम्मेदारी तय की गई है। सर्दियों में तो गनीमत था, लेकिन अब गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। डीप फ्रीजर के ठप होने से तपती गर्मी में बेजान लाशों को सुरक्षित रख पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि बगैर डीप फ्रीजर के 72 घंटे तक रखी जाने वाली लाशों का क्या हाल हो जाता होगा, इसे बयान करना मुमकिन नहीं। पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे गर्म मौसम में जब वहां एक कमरें में 72 घंटे बंद रखी लाश का पोस्टमार्टम किया जाता है तो वहां नाक देना दूभर हो जाता है।

कभी-कभी तो लाशों से आने वाली बदबू से आस-पास के लोग भी परेशान होने लगते हैं।ठप पड़े डीप फ्रीजर के बारे में ज़िम्मेदारों को कई बार चिट्ठी-पत्री भेजी गई। लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला। लाखों खर्च करने के बावजूद लाशें फर्श पर पड़ी सड़ रहीं हैं। लेकिन ज़िम्मेदारों पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है।

आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस वहां पर है, जहां से कुछ ही कदमों की दूरी पर स्वास्थ्य महकमे का मुखिया यानी सीएमओ साहब का दफ्तर भी है। पोस्टमार्टम हाउस में लाशों के इस तरह सड़ने से हाकिम भी बे-खबर है ? हर कोई इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटा है। कुछ का कहना है कि साहब को सब कुछ पहले से ही पता है, लेकिन जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं।

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