बरेली: आईवीआरआई में जल्द बनेगा देश का पहला डॉग कैनाइन सेंटर

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बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान में जल्द ही कुत्तों को अत्याधुनिक उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डॉग कैनाइन सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसके निर्माण पर 20 करोड़ से अधिक रुपये खर्च होंगे। डॉग कैनाइन सेंटर के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से शासन में प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे स्वीकृति मिल …

बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान में जल्द ही कुत्तों को अत्याधुनिक उपचार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डॉग कैनाइन सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसके निर्माण पर 20 करोड़ से अधिक रुपये खर्च होंगे। डॉग कैनाइन सेंटर के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से शासन में प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे स्वीकृति मिल गई है। संस्थान प्रबंधन के अनुसार जल्द बजट आवंटित होने पर निर्माण की दिशा में काम शुरू होगा।

आईवीआरआई के वैज्ञानिकों के अनुसार संस्थान सहित अन्य जगहों पर विभिन्न पशुओं के साथ-साथ कुत्तों की बीमारी और उपचार के लिए भी शोध हो रहे हैं। वैक्सीन भी बनी है, लेकिन कुत्तों पर शोध के लिए कोई भी संस्थान नहीं बना है। बदलते परिवेश में संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी कुत्तों के व्यवहार पर शोध होने की आवश्यकता बताई थी। देश में कुत्तों को छोड़ अन्य पशुओं पर शोध के लिए 15 से अधिक शोध केंद्र हैं। इनमें ऊंट का बीकानेर, घोड़े का हिसार, बकरी पर शोध के लिए मथुरा में बना राष्ट्रीय केंद्र समेत अन्य शामिल हैं, लेकिन पालतु पशुओं के लिए कोई केंद्र नहीं बना है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से पहल करते हुए प्रस्ताव भेजा गया था।

वर्चुअल डॉग व एनाटोमी की भी मिलेगी सुविधा
वैज्ञानिकों के अनुसार विद्यार्थियों की सुगमता के लिए वर्चुअल डॉग व वर्चुअल एनाटोमी की भी मांग की गई है। जिसकी कीमत लगभग 2 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इससे कुत्ते की आंतरिक संरचना के बारे में प्रयोगात्मक रूप से जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही कैनाइन सेंटर बनने के बाद आईवीआरआई में कुत्तों के ऊपर शोध के साथ ही कैंसर के उपचार में लाभदायक रेडियोथैरपी, सीटी स्कैन, उन्नत किस्म की पैथोलॉजी, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, ट्यूमर के लिए विशेष सुविधाएं मिलेंगी।

आईसीएआर की ओर से श्वान (कुत्तों) पर शोध करने के लिए एडवांस रिचर्स सेंटर फॉर कैनाइंस का प्रोजेक्ट स्वीकृत हो चुका है।इस वित्तीय वर्ष में बजट आवंटित होने के साथ ही काम शुरू हो जाएगा। पार्वाे समेत अन्य बीमारियों के लिए संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से लगातार शोध-अध्ययन किया जा रहा है।- डा. त्रिवेणी दत्त, निदेशक, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान

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