अयोध्या : सातवीं मोहर्रम को निकला मेंहदी का जुलूस, छलके आंसू

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अयोध्या, अमृत विचार। सातवीं मोहर्रम को शनिवार को रात यहां ऐतिहासिक मेंहदी का जुलूस अपने रवायती अंदाज में निकला। मकबरा बहू बेगम से निकले मेंहदी के जुलूस में नगर की अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। नौहों की सदाओं से अजादारों की आंखें बरस पड़ी। शनिवार रात करीब नौ बजे मेंहदी का जुलूस बहू बेगम …

अयोध्या, अमृत विचार। सातवीं मोहर्रम को शनिवार को रात यहां ऐतिहासिक मेंहदी का जुलूस अपने रवायती अंदाज में निकला। मकबरा बहू बेगम से निकले मेंहदी के जुलूस में नगर की अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। नौहों की सदाओं से अजादारों की आंखें बरस पड़ी।

शनिवार रात करीब नौ बजे मेंहदी का जुलूस बहू बेगम मकबरा से बरामद हुआ और फतेहगंज, सुभाषनगर, चौक और गुदड़ीबाजार होता हुआ देर रात इमामबाड़ा जवाहर अली खां पहुंचा।

इस दौरान अंजुमनें इमामे जाफरिया ने खुदागंज से अलम उठाकर नौहाख्वानी करते हुए सुभाषनगर में अंजुमनें इमामे जाफरिया को सौंपा। यहां से इमामे जाफरिया जुलूस लेकर चौक पहुंची। यहां से अंजुमनें अब्बासिया ने जुलूस में नौहाख्वानी की। मेंहदी के जुलूस में अंजुमन गुंचे मजलूमिया, अंजुमनें मासूमिंया समेत दीगर अंजुमनों ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की।

जुलूस में अलम, दुलदुल व ताबूत शामिल रहे। इससे पूर्व मजलिसों ने उलेमाओं ने हजरत कासिम की शहादत को बयां किया। जिसे सुनकर मातमदार तड़प उठे। सातवीं मोहर्रम की तारीख हजरत इमाम हसन के बेटे हज़रत कासिम की शहादत से है। हजरत कासिम की उम्र 13 साल थी। जब कर्बला में शहादत का वक्त आया तो हज़रत कासिम ने अपने चचा इमाम हुसैन से शहादत की इजाज़त लेनी चाही तो इमाम हुसैन ने अपने भाई की इकलौती निशानी होने के कारण शहादत की इजाजत नहीं दी।

हजरत कासिम ने अपने बाजू पर बंधा अपने वालिद इमाम हसन का तावीज अपने चचा हजरत इमाम हुसैन को दिखाया, जिसमें इमाम हसन ने अपनी जिंदगी में शहादत की इजाजत लिखकर अपने बेटे के बाजू पर बांध दी थी। अपने बड़े भाई की वसीयत को देखते हुए हजरत इमाम हुसैन ने हजरत कासिम को शहादत की इजाजत दे दी। कासिम बड़ी बहादुरी से जंग लड़े। यज़ीद की फौज ने उनको चारों तरफ़ से घेर कर हमला कर दिया। हजरत कासिम जख्मी होकर मैदान में गिरे तो यजीदी फौज के घोड़ों की टापों से उनके बदन के कई टुकड़े हो गये।

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