बरेली: अंग्रेजी सेना में नायब सूबेदार थे हरदेव सिंह, आजादी को भरी थी हुंकार

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बरेली, अमृत विचार। नायब सूबेदार हरदेव सिंह ओबरॉय, बहुत कम लोग इनकी शहादत को जानते होंगे। हरदेव सिंह वो नाम है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था। आजादी की अलख हर किसी भारतीय के अंदर जल रही थी। मूलरूप से पाकिस्तान के रावलपिंडी निवासी हरदेव अंग्रेजी सेना में नायब सूबेदार थे। आजादी मिलने …

बरेली, अमृत विचार। नायब सूबेदार हरदेव सिंह ओबरॉय, बहुत कम लोग इनकी शहादत को जानते होंगे। हरदेव सिंह वो नाम है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था। आजादी की अलख हर किसी भारतीय के अंदर जल रही थी। मूलरूप से पाकिस्तान के रावलपिंडी निवासी हरदेव अंग्रेजी सेना में नायब सूबेदार थे। आजादी मिलने के साथ देश के बंटवारे में हरदेव सिंह पाक छोड़कर बरेली आ गए थे। उनका परिवार अब सदर बाजार में रह रहा है।

द्वितीय विश्व युद्ध के सेनानियों के बारे में जिला सैनिक कल्याण बोर्ड कार्यालय से जब जानकारी ली गई तब हरदेव सिंह समेत 12 ऐसे सेनानियों के नाम सामने आए, जिनकी पत्नियां जीवित हैं और उन्हें आज भी पेंशन दी जा रही है। इसी क्रम में नायब सूबेदार सरदार हरदेव सिंह ओबरॉय के बड़े बेटे सरदार जसवीर सिंह ओबरॉय ने बताया कि उनका परिवार मूलरूप से पाकिस्तान के रावलपिंडी का रहने वाला था। विभाजन के बाद वे बीआई बाजार आ गए थे।

बताया कि वर्ष 1939 में जब विश्व युद्ध हुआ तो उनके पिता ऑर्डिनेंस बटालियन में नायब सूबेदार थे। विश्व युद्ध के दौरान इंग्लैंड कमजोर पड़ रहा था। तब इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल ने सूबेदार से कहा था कि अगर भारतीय जवान हमारी मदद करेंगे तो वह भारत को आजादी दिलाने की प्रक्रिया को आरंभ करा सकते हैं। चर्चिल की इस शर्त पर हरदेव सिंह ने देश की आजादी का सपना लिए युद्ध में भागीदारी की थी।

बाद में देश को आजादी मिली। उनके बेटे ने बताया कि हरदेव सिंह के साथ ही उनके दो भाई भी सेना की नौकरी में रहे। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने समाज सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर दिया था। बताशे वाली गली स्थित गुरुदारा के भी फाउंडेशन सदस्य रहे। वर्ष 2005 में उनके पिता का निधन हो गया।

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