बरेली: जन्माष्टमी की धूम, चंद्रनगर और सीताराम मंदिर से निकल रही 132 साल पुरानी शोभायात्रा बनी सद्भावना की मिसाल

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बरेली, अमृत विचार। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में कटरा चांद खां से 132 साल पुरानी शोभायात्रा निकाली जाती है यह शोभायात्रा इसलिए भी विशेष है क्योंकि विजय यात्रा सद्भावना का प्रतीक है। कई बार विषम परिस्थितियों के बाद भी इस यात्रा को निकाला गया है। यह शोभायात्रा चंद्र नगर धार्मिक समिति पुराना …

बरेली, अमृत विचार। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में कटरा चांद खां से 132 साल पुरानी शोभायात्रा निकाली जाती है यह शोभायात्रा इसलिए भी विशेष है क्योंकि विजय यात्रा सद्भावना का प्रतीक है। कई बार विषम परिस्थितियों के बाद भी इस यात्रा को निकाला गया है। यह शोभायात्रा चंद्र नगर धार्मिक समिति पुराना शहर बरेली के तत्वधान में सीताराम मंदिर से शोभायात्रा निकाली जाती है।

सीताराम मंदिर में कृष्ण जी की सुंदर मूर्तियां, फोटो-अरुण मौर्य, अमृत विचार।

दधिकादों शोभायात्रा क्यों है खास
भगवान श्री कृष्ण प्रकट उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है इस दौरान कटरा चांद कहां से निकलने वाली शोभा यात्रा को दधिकादों शोभायात्रा क्यों कहा जाता है? इस बारे में समिति के उपाध्यक्ष प्रवक्ता दिनेश दद्दा ने बताया कि दधिकादों शोभायात्रा अपने मूलभूत आदर्शों के अनुसार शुद्धिकरण का एक प्रतीक है।

बरेली के सीताराम मंदिर पर जन्माष्टमी को लेकर चल रही तैयारियों का जायजा लेते कार्यकर्ता व मंदिर के सदस्य

क्योंकि शोभा यात्रा के समय पूर्व में प्रचलित हल्दी, दूध, तुलसी और गंगाजल के पवित्र मिश्रण को लोगों के कपड़ों पर छिड़काव को लोग अपने समाज के शुद्धिकरण के रूप में लेते थे। एक प्रसंग में ऐसा भी कहा गया है श्री कृष्ण के जन्म के साथ शुद्धिकरण का वातावरण बना और बुरी आत्माओं को ब्रज क्षेत्र से निकाल फेंकने के लिए ऋषि मुनियों ने सारे क्षेत्र में इस मिश्रण का छिड़काव किया तब से यह प्रथा वृंदावन सहित अनेक जगह में चली आ रही है।

जन्माष्टमी पर निकलने वाली शोभायात्रा के लिए सिंहासन पर रंगाई-पुताई करता पेंटर

शोभायात्रा में देखने को मिलता है भगवान श्री कृष्ण का अनोखा स्वरूप
भगवान श्री कृष्ण अवतरण शहर में उत्साह के साथ मनाया जाता है वही कटरा चांद का से चंद्र नगर के सीताराम मंदिर से उठने वाली परंपरागत दधिकादों शोभायात्रा अपने आप में सैकड़ों वर्ष पुराने इतिहास समेटे हुए है। शोभायात्रा में अखाड़े से लेकर भगवान श्री कृष्ण की नटखट ग्वाल वालों की टोली की झांकियां सभी का मन मोह लेती हैं। श्री कृष्ण का जन्म दुराचार प्रधान और अन्याय के व्यापक वातावरण में हुआ था। दधिकादों शोभायात्रा में शामिल झांकियां भगवान श्री कृष्ण के कई चरित्र को उजागर करती हैं।

मंदिर परिषद के कार्यकर्ता व सदस्य साफ -सफाई का जायजा और कुछ खामियां को ठीक कराते हुए ।

आपातकालीन में भी निकली थी शोभा यात्रा
बरेली में कर्फ्यू के दौरान भी इस शोभायात्रा को निकाला गया था इसके साथ ही 1984 में जब आपातकाल घोषित किया गया था उस समय भी तत्कालीन जिलाधिकारी डी एस बग्गा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अहमद हुसैन के मार्गदर्शन चंद्र सेन जी महाराज की शोभायात्रा याद आवती और विभिन्न स्थान पर स्वागत किया था 2011 में पनवड़िया में बालक की मौत हो गई। मथुरा की शोभा यात्रा को निकाला गया था।

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