एक और झटका! कांग्रेस से जयवीर शेरगिल भी खफा, दिया प्रवक्ता पद से इस्तीफा, सुनाई ये खरी खोटी
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया। जयवीर शेरगिल ने सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे में लिखा, मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि निर्णय लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से …
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया। जयवीर शेरगिल ने सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे में लिखा, मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि निर्णय लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से प्रभावित है जो चापलूसी में लिप्त हैं और लगातार जमीनी हकीकत की अनदेखी करते हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा देने के बाद जयवीर शेरगिल ने कहा कि आज मैंने इस्तीफा दो कारणों से दिया है। आज कांग्रेस पार्टी के निर्णय जनहित में नहीं कुछ लोगों के हित में निर्णय लिए जा रहे हैं। वास्तविकता से मुंह मोड़ा जा रहा है, जनता के मुद्दों से मुंह मोड़ा जा रहा है। कांग्रेस के जो निर्णय लिए जाते हैं उसमें आपकी काबिलियत, जनता की आवाज़, युवाओं की अपेक्षाओं को नजरअंदाज करके सिर्फ कुछ लोग जो चुनाव भी हार चुके हैं, केवल उनकी ताजपोशी हो रही है।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी में इस्तीफे देने का दौर जारी है, जहां ताजा मामले में जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपने इस्तीफे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा, मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि निर्णय लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से प्रभावित है जो चाटुकारिता में लिप्त हैं और लगातार जमीनी हकीकत की अनदेखी कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील शेरगिल उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए 24×7 कानूनी टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया था। जयवीर शेरगिल से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने भी रविवार को पार्टी की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। बताया जा रहा है कि वह पार्टी में अनदेखी की वजह से नाराज चल रहे थे।
उन्होंने इस मामले में सोनिया गांधी को एक लेटर भी लिखा था, जिसमें कहा था कि पार्टी में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें बैठकों और फैसलों में भी शामिल नहीं किया जा रहा है। आनंद शर्मा का इस्तीफा कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि उनको हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में माना जाता है। उन्होंने अपने पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष को बताया है कि उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची है क्योंकि उन्हें पार्टी की किसी भी बैठक में नहीं बुलाया गया।
उनके इस्तीफे के एक दिन बाद राज्य के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रभारी राजीव शुक्ला ने इस साल नवंबर में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मामले को सुलझाने के लिए उनसे संपर्क किया था। आनंद शर्मा के अलावा कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने भी अभियान समिति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर राजनीतिक मामलों की समिति से इस्तीफा दे दिया था। शर्मा और आजाद दोनों उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने अगस्त 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी अध्यक्ष और कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के लिए चुनाव कराने की मांग की थी।
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