हल्द्वानी: पहाड़ और किसानों को समृद्ध बनाएगी ‘चिरौंजी’
हल्द्वानी, अमृत विचार। वन अनुसंधान संस्थान ने किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ के लिए पहली बार सूखी मेवा चिरौंजी पर शोध शुरू किया है। यदि यह शोध सफल रहा तो राज्य के लिए वरदान साबित होगा। वन अनुसंधान अधिकारियों के अनुसार, चिरौंजी का सूखे मेवा में महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं …
हल्द्वानी, अमृत विचार। वन अनुसंधान संस्थान ने किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ के लिए पहली बार सूखी मेवा चिरौंजी पर शोध शुरू किया है। यदि यह शोध सफल रहा तो राज्य के लिए वरदान साबित होगा।
वन अनुसंधान अधिकारियों के अनुसार, चिरौंजी का सूखे मेवा में महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं इस वजह से इसकी बाजार में अत्यधिक मांग है। अमूमन चिरौंजी शुष्क पर्वतीय जंगलों में पाई जाती है। जो 50 मीटर से कम ऊंचाई वाले जंगलों में मिलती है। जून-जुलाई के बीच में इसकी फसल पक कर तैयार हो जाती है।
हालांकि इसके लिए सिंचाई की अत्यधिक जरूरत होती है। चिरौंजी मध्य प्रदेश, उड़ीसा, नागपुर, आंध्र प्रदेश और गुजरात में पाई जाती है। इधर, वन अनुसंधान की लालकुआं स्थित नर्सरी में चिरौंजी के 800 पौधे रोप कर उनकी देखरेख की जा रही है। यदि पौधे पनप जाते हैं और फल मिलता है तो वन अनुसंधान की बड़ी सफलता होने के साथ ही राज्य के किसानों को भी मालामाल बनाने में मदद मिलेगी।
