मुरादाबाद : विशेष अभियान में जनवरी से मार्च तक बच्चों को लगेगा टीका
आशाएं घर-घर जाकर नियमित टीकाकरण से छूटे बच्चों की सूची बनाएंगी
मुरादाबाद,अमृत विचार। मीजल्स-रुबेला को 2023 तक समाप्त करने के लिए जनवरी से मार्च तक विशेष टीकाकरण अभियान चलेगा। विशेष पखवाड़े में नियमित सत्र प्रभावित किए बिना अलग दिवसों में टीके लगेंगे। विशेष अभियान में 9- 20 जनवरी तक पहला विशेष पखवाड़ा, 13-24 फरवरी तक दूसरा और 13-24 मार्च तक तीसरा विशेष पखवाड़ा चलेगा। इसके लिए ब्लॉक स्तर के चिकित्साधिकारी और आशाओं ,आशा संगिनी को प्रशिक्षित किया जा चुका है। अगले चरण में एएनएम को प्रशिक्षण दिया जाएगा। मीजल्स रूबेला विशेष पखवाड़े में टीकाकरण से पहले शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में पांच साल तक के बच्चों की सूची तैयार होगी।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी प्रभारी डा. मनोज चौधरी ने बताया कि नियमित टीकाकरण में छूटे हुए बच्चों को इसमें चिह्नित कर टीका लगेगा। आशा, आंगनबाड़ी, शहरी मोबिलाइजर, लिंक सर्वर आदि की मदद ली जाएगी। आशा घरों में सर्वे करने के दौरान उसकी संख्या और तारीख रजिस्टर पर लिखेंगी। टीकाकरण से छूटे बच्चों की रिपोर्ट एएनएम के माध्यम से नोडल अधिकारी के पास आएगी। दूर-दराज क्षेत्र में जहां लोग नियमित टीकाकरण कराने के लिए नहीं आते उनके लिए विशेष माइक्रोप्लान तैयार करेगा। कोई भी बच्चा किसी भी वैक्सीन डोज के टीकाकरण से वंचित न हो।
कम टीकाकरण पर लग चुकी है फटकार
मुरादाबाद। नियमित टीकाकरण में छूटे हुए बच्चों के प्रतिशत को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को फटकार लग चुका है। मंडलायुक्त, जिलाधिकारी के अलावा शासन स्तर से भी नियमित टीकाकरण की प्रगति पर नाराजगी जताई जा चुकी है। इसे बढ़ाने के लिए अब विशेष टीकाकरण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। जिसमें छूटे बच्चों को चिह्नित कर टीका लगेगा। छूटे बच्चों की रिपोर्ट एएनएम के माध्यम से नोडल अधिकारी को मिलेगी। जिसके आधार पर टीके लगाए जाएंगे। पिछले सप्ताह हुई बैठक में शहर के कई मोहल्लों में सिर्फ 12-14 प्रतिशत बच्चों को ही टीका लगने पर हैरत जताई गई थी। जिस पर जिलाधिकारी ने विशेष रुप से यहां टीम भेजने का निर्देश दिया था। जिससे यहां के बच्चों को बीमारियों के बचाने के लिए टीके लगाकर प्रतिरक्षित किया जा सके।
क्यों जरूरी है नियमित टीकाकरण
टीकाकरण करने का कारण बच्चों को संक्रामक रोग होने की संभावना को कम करना है। इसके अलावा, अगर अधिकांश लोग प्रतिरक्षित किये जाते हैं और इससे प्रतिरक्षित हो जाते हैं तो इससे समुदाय में संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा कम हो जाता है, जिससे व्यक्तियों और समुदाय के स्वास्थ्य की रक्षा होती है।
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