बरेली: चॉकलेट खाकर पशुओं में बढ़ रही दूध उत्पादन की क्षमता
बरेली, अमृत विचार। अब पशुओं के लिए चॉकलेट बनाई गई है। यह चॉकलेट पशुओं के पोषण की आवश्यकताओं को पूरा कर रही है। इस चॉकलेट से दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) की ओर से विकसित इस चॉकलेट को यूरिया मोलासिस मिनिरल ब्लॉक का नाम दिया गया है। आईवीआरआई प्रबंधन के अनुसार चारा और भूसे में बहुत से पोषक तत्वों की कमी होती है। इस कमी को पूरा करने के लिए ही यह चॉकलेट बनाई गई है।
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इसको बनाने में गेहूं का चोकर (चावल), खली (सरसों, ज्वार), यूरिया, खनिज लवण (कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर आदि) का मिश्रण तैयार किया गया। चॉकलेट के रूप में एक वयस्क पशु को लगभग 500- 600 ग्राम यह देने पर उसकी अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता पूरी हो जाती है। चॉकलेट को बाजार में उतारने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि इसकी मांग अधिक है। संस्थान इतनी मांग की पूर्ति नहीं कर पाएगा। इसको बनाने के लिए मशीन भी ईजाद की गई है, जिसकी सहायता से एक पशुपालक एक दिन में लगभग 150 चॉकलेट बना सकता है। पीआरओ सतीश जोशी ने बताया कि पशुपालकों को इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
उत्पादकता में आया सुधार, पाचन तंत्र को ठीक करने में सहायक
परीक्षण में जब चॉकलेट नियमित रूप से पशुओं को दी गई तो उनके दूध उत्पादकता में सुधार हुआ। चॉकलेट को खिलाने से जिन पशुओं के दूध की वृद्धि प्रतिदिन 50 ग्राम थी, उनकी बढ़कर 100 ग्राम हो गई। अगर कोई पशु दीवार और ईंट चाटता है तो यह चॉकलेट उसको रोकती है। ये चॉकलेट हरे चारे की कमी को भी पूरा करती है। यह पशुओं के पाचन तंत्र को ठीक करने में सहायक है।
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