मुरादाबाद : अनापत्ति प्रमाण पत्र बिना संचालित हैं अस्पताल, होटल और बैंक्वेट हॉल, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
मॉक ड्रिल में फेल हो चुके हैं कई अस्पतालों में अग्निशमन यंत्र, चार साल में 19 अस्पतालों ने ही ली एनओसी
मुरादाबाद,अमृत विचार। जिले में कई अग्निकांड ऐसे हुए जिनमें लोगों की जान तक चली गई। कई बार बड़े अस्पतालों में भी आग लगी। इसके बावजूद दमकल विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लिए बिना ही बहुमंजिला भवनों में अस्पताल चल रहे हैं। अग्निशमन विभाग की ओर से जारी गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जिले में 99 प्रतिशत अस्पताल बिना एनओसी के ही चल रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में यदि आग लग जाए तो बड़ी संख्या में मरीज और तीमारदारों की जान तक जा सकती है।
जिले में करीब साढ़े चार हजार निजी अस्पताल हैं। मगर स्वास्थ्य विभाग में मात्र 400 का ही पंजीकरण है। इनमें से दर्जन भर से ज्यादा अस्पताल ढाई मंजिल से अधिक ऊंचे हैं। जबकि 100 से ज्यादा दो मंजिल हैं। पिछले चार साल में इनमें से केवल 19 ने ही दमकल विभाग से एनओसी ली है। इनमें से भी तमाम ऐसे हैं जिनके पास या तो आग बुझाने के उपकरण नहीं हैं या फिर वह संचालन की स्थिति में नहीं हैं। जिला अस्पताल भी इसी श्रेणी में आता है। यहां अग्निशमन संयंत्र तो लगे हैं लेकिन मॉकड्रिल में फेल हो चुके हैं। ऐसे में यदि किसी अस्पताल में आग लगी तो मरीजों की जान पर बन सकती है।
एक माह पूर्व मझोला क्षेत्र में चौहानों वाली मिलक में लकड़ी और गत्तों के गोदाम मे भीषण आग लग गई थी। इसमें इसरार झुलस गया था। फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियों और 20 से अधिक कर्मियों ने आग पर काबू पाया था। इस गोदाम के मालिक के पास एनओसी नहीं थी। चार दिन पूर्व पाकबड़ा थाना क्षेत्र में स्थित मोमबत्ती फैक्ट्री में आग गई थी। यहां भी बिना एनओसी के ही फैक्ट्री चल रही थी। 25 अक्टूबर को मझोला के धीमरी गांव स्थित पीतल कारखाने में आग लगी थी। रईस ने मकान के निचले हिस्से में कारखाना खोल रखा था।
दमकल विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद 10 लोगों को सकुशल बचाया था। यहां भी एनओसी नहीं ली गई थी। उधर गांधी नगर स्थित जिज्ञासा नर्सिग में भी करीब छह माह पूर्व शार्ट सर्किट से आग लग गई थी। इसमें तमाम मरीज भी फंस गए थे। दमकल कर्मियों को आग में फंसे लोगों को निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। यह अस्पताल भी बिना एनओसी के ही चल रहा था।
बिना एनओसी नहीं खुल सकता अस्पताल
नियमानुसार किसी भी अस्पताल को खोलने से पहले दमकल विभाग की एनओसी अनिवार्य होती है। मगर इसके बावजूद ज्यादातर अस्पतालों को सीएमओ कार्यालय से बिना एनओसी के ही लाइसेंस जारी कर दिए गए।
एनओसी के लिए निर्धारित हैं मानक
मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुभाष कुमार ने बताया कि किसी भी बहुमंजिला इमारत, स्कूल-कॉलेज, सरकारी विभाग या फिर अस्पताल के लिए फायर एनओसी लेना आवश्यक है। नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) के तहत सुरक्षा की दृष्टि से यह बेहद जरूरी है, लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है।
तमाम होटलों के पास भी नहीं है एनओसी
महानगर में 100 से ज्यादा होटल हैं। इनमें से मात्र 14 होटल संचालकों ने ही एनओसी ले रखी है। इसके अलावा कई छात्रावास, शापिंग मॉल और बैंक्वेट हॉल भी बिना एनओसी चल रहे हैं।
सीएमओ कार्यालय से अस्पतालों को बिना एनओसी के ही लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। मॉल, बैंक्वेट हॉल, होटल या शोरूम संचालक हमारे पास एनओसी के लिए आते ही नहीं हैं। हमें तो घटना का पता तब चलता है जब इन परिसरों में आग लगती है। तब जांच में पता लगता है कि इनके पास एनओसी नहीं थी। हालांकि अब नियमावली में संशोधन हुआ है। इसके तहत अब अग्निशमन विभाग भी बिना एनओसी के बन रही इमारत को सील कर सकता है। -सुभाष कुमार, मुख्य अग्निशमन अधिकारी।
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