संगीतकारों की दरकार दो साल से भारखंडे कर रहा कुलपति का इंतजार

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Published By Vinay Shukla
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अमृत विचार, लखनऊ। राजधानी का भातखंडे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय की पहचान किसी से छिपी नहीं है। महान संगीतकार पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया था। तत्कालीन समय में इसका नाम मैरिज कॉलेज ऑफ म्यूजिक हुआ करता था। हालांकि प्रदेश सरकार ने इसे  पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए भातखंडे संस्थान से भारतीय संस्कृति विश्वविद्यालय बनाया। बावजूद इसके संस्थान की व्यवस्थाएं खस्ताहाल है। कयास लगाए जा रहे थे कि गठन के बाद भातखंडे को दो साल बाद भी अपना नियमित नहीं मिला। मौजूदा समय में  विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी कल्चरल डिपार्टमेंट के अधिकारी को सौंपी गई है।

गौरतलब है कि बीते 16 नवम्बर को योगी सरकार ने प्रोफेसर मांडवी सिंह को भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया। लगभग दो सालों से खाली कुलपति के पद पर प्रोफेसर मांडवी ने अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की मानें तो सीएम के नेतृत्व में रजिस्ट्रार व अन्य पदों के लिए भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। संस्थान के कार्यवाहक कुलसचिव तुहिन द्विवेदी के मुताबिक, 'नई कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह को जब कुलपति नियुक्त किया गया। तो उस वक्त शिमला में केंद्र सरकार के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थीं. उसकी रिपोर्ट सबमिट करने के बाद उन्हें अपने मूल विश्वविद्यालय से रिलीविंग लेटर लेना था, पर इसी दौरान उनके पिताजी का देहांत हो गया. जिस कारण उनके ज्वाइन करने में थोड़ा विलंब हो रहा है। संभावना हैकि अगले सप्ताह तक वह कुलपति का चार्ज ले लेंगी।

बता दें कि मौजूदा समय में संस्थान में 25 शिक्षक हैं। जिनमें 180 यूजीसी के मानक के आधार पर हैं. गायन, नृत्य व वादन की कक्षाओं के लिए कुल 18 संगतकर्ता हैं। जबकि संस्थान में 1475 छात्र-छात्राए हैं। संगीतकारों की मानें तो, भातखंडे में लगातार बनी अस्थिरता के कारण छात्र-छात्राओं में गिरावट हो रही है। लिहाजा देशी ही नहीं बल्कि विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या भी बेहद कम हो गई है। बतादें कि संस्थान के पूर्व छात्रों में बेगम अख्तर, नीला देसाई, अनूप जलोटा, कनिका कपूर, तलत महमूद, फिल्म संगीतकर सरस्वती देवी, अमित मिश्रा, मालिनी अवस्थी व संगीतकार रोशन जैसे बड़े नाम यहां के पूर्व छात्र रह चुके हैं। इसके अलावा पड़ोसी देश श्रीलंका से भी कई छात्रों ने यहां से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की है।

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