Chitrakoot News : कोर्ट को गुमराह करने के मामले में सीओ की होगी जांच, स्पेशल जज ने जताई नाराजगी
Chitrakoot News चित्रकूट में कोर्ट को गुमराह करने के मामले में सीओ की जांच होगी।
Chitrakoot News चित्रकूट में कोर्ट को गुमराह करने के मामले में सीओ की जांच होगी। स्पेशल जज ने नाराजगी जताई। धारा विलोपन की जानकारी नहीं दी थी।
चित्रकूट, अमृत विचार। जेल में बंद दो बहनों की न्यायिक अभिरक्षा बढ़ाने के लिए न्यायालय को गुमराह करने एवं विवेचना में लापरवाही के मामले में एससी-एसटी एक्ट कोर्ट के स्पेशल जज दीपनारायण तिवारी ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस महानिदेशक को आदेश की एक प्रति भेजते हुए तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक भास्कर वर्मा के विरुद्ध आवश्यक जांच कराने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, सरधुवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत बरद्वारा गांव में 27 नवंबर 2022 को सवेरे आठ बजे दो पक्षों में भूमि संबंधी विवाद हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों को चोटें आई थीं। पुलिस ने इस मामले में एक पक्ष की तहरीर के आधार पर बरद्वारा गांव में अपने मायके आईं बर्रा (कानपुर) निवासी नीतू सिंह और उसकी बहन वंदना सिंह पर धारा 307, 324, 504, 506 भा. दं. सं. एवं 3(2) अऩुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की थी और इऩको जेल भेज दिया था।
इनकी अभी तक जमानत नहीं हुई है। इस मामले में राजापुर क्षेत्राधिकारी शिवप्रकाश सोनकर ने एससी-एसटी कोर्ट के स्पेशल जज दीपनारायण तिवारी के समक्ष उपस्थित होकर आरोपी महिलाओं की न्यायिक अभिरक्षा 14 दिन किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया था।
इसके बाद विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में आदेश जारी किया है। आदेश में विशेष न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में पुष्पा देवी और शिवबोध के शरीर पर साधारण चोटों का उल्लेख चिकित्सीय परीक्षण में किया गया है और इसी आधार पर हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धारा के तहत रिपोर्ट दर्ज करते हुए दोनों महिलाओँ को जेल भेजा गया था। जेल भेजने के मात्र तीन दिन बाद 30 नवंबर को पूर्व में कराई गई चिकित्सीय परीक्षण के आधार पर विवेचक ने धारा 307 का विलोपन तो कर दिया पर इसकी सूचना न्यायालय में नहीं दी।
यहां तक कि संबंधित विवेचक द्वारा आठ दिसंबर 2022 को भी धारा 307 के तहत आरोपी महिलाओं का द्वितीय रिमांड भी ले लिया गया। इस रिमांड लेने के समय भी धारा 307 के विलोपन के संबंध में कोर्ट को नहीं अवगत कराया। इसके चलते अनायास ही दोनों आरोपी महिलाएं अब तक न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं। न्यायालय ने इसे अनुसंधानकर्ता अधिकारी का निंदनीय आचरण करार देते हुए गुमराह करने का प्रयास बताया।
साथ ही आरोपी महिलाओं के विरुद्ध तत्काल न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल करने के आदेश दिए। इसके अलावा इस मामले में तत्कालीन राजापुर क्षेत्राधिकारी भास्कर वर्मा पर विवेचना में लापरवाही बरतने के कारण आवश्यक जांच कराने के लिए पुलिस अधीक्षक एवं प्रदेश के पुलिस महानिदेशक लखनऊ को भी आदेशित किया है।
