जोशीमठ आपदा पर बोलीं पद्मश्री बसंती देवी, कहा - पहाड़ पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान मुहैया कराये सरकार
लखनऊ, अमृत विचार। उत्तरखण्ड का जोशीमठ शहर ऐतिहासिक रूप खास महत्व रखता है। कहने वाले तो इस पौराणिक और धार्मिक शहर को उत्तराखण्ड का काशी भी कहते हैं,लेकिन देवभूमि के इस शहर पर प्रकृति नाराज है। जोशीमठ की जमीन धंस रही है। आपदा का दायरा बढ़ने से शहर खत्म होने की कगार पर है। इस शहर के अलावा चमोली,चंपावत और ऋषिकेश जैसे शहरों पर भी खतरा मंडराने लगा है। शहरों पर खतरे की घंटी बजने से वहां रहने वाले लोग भी समस्या में है। लोगों की समस्याओं को देखते हुये पद्मश्री बंसती देवी ने अमृत विचार के साथ बातचीत में सुझाव साझा किये हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार पहाड़ पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान मुहैया कराये।
दरअसल,राजधानी लखनऊ में उत्तरायणी कौथिग मेले के शुभारम्भ के मौके पर पहुंची पद्मश्री बसंती देवी ने कहा है कि पहाड़ों पर निर्माण नहीं होना चाहिए। इससे लोगों की जिंदगियों पर खतरा पैदा होता है। उन्होंने बताया कि गढ़वाल ,बद्रीनाथ ,जोशीमठ और टिहरी आदि जगहों पर पहले जाकर देखा गया है,वहां पर जिस तरह से निर्माण कार्य हुआ है। उससे पर्यावरण पर संकट आना तय हैं। देवभूमि को बचाने के लिए पहाड़ों पर हो रहे निर्माण पर रोक लगनी चाहिए और वहां रह रहे लोगों को सुरक्षित जगहों का चुनाव कर वहां बसाना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है।
इससे पहाड़ और लोग दोनों सुरक्षित रहेंगे। कोसी नदी में एक बार फिर जल की धारा बहने में बसंती देवी ने करीब 20 साल संघर्ष किया है। पर्यावरण और नारी सशक्तिकरण के लिए काम करने की वजह से सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। इसके अलावा उन्हें कई और पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
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