World Radio Day : हर दौर में रेडियो की प्रासंगिकता और उपयोगिता
यादें ...13 फरवरी 1946 को मनाई गई थी रेडियो की पहली वर्षगांठ, रेडियो प्रसारण सेवा के 101 साल आज हुए पूरे
मुरादाबाद,अमृत विचार। विश्व रेडियो प्रसारण सेवा के 101 साल सोमवार को पूरे हो रहे हैं। इसकी शुरुआत रेडियो के जन्मदाता इटली निवासी और प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री गुगलेल्मो मारकोनी ने इंग्लैंड में की थी। 13 फरवरी 1946 को संयुक्त राष्ट्र में रेडियो की पहली वर्षगांठ मनाई गई। उसकी याद में 13 फरवरी 2012 को यूनेस्को ने विश्व रेडियो दिवस मनाने की परंपरा शुरू की। तब से हर वर्ष 13 फरवरी को रेडियो दिवस मनाया जाता है। भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मारकोनी कंपनी ने 1935 में पेशावर से शुरू की थी। रेडियो के आने से दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति आई। इसके बदलते स्वरूप के बाद आज मोबाइल हैंडसैट के रूप में सामने आया है।
टेलीविजन और अन्य संचार माध्यमों के दौर में भी आज रेडियो के कद्रदानों की कमी नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता लालपुर गंगवारी निवासी डॉ. मोहम्मद जावेद आज भी रेडियो पर अपने मनपसंद कार्यक्रमों को सुनते हैं। उन्होंने क्लासिक डिजाइन का नया रेडियो खरीदा है। वह कहते हैं कि इससे उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता रहा है। बताया कि रेडियो उनके परिवार के सदस्य के समान है। 1962 में उनके पिता मास्टर नन्हू हुसैन हज पर गए थे तो एक रिश्तेदार से नेशनल पैनासॉनिक कंपनी का चार बैंड का रेडियो शिक्षक की नौकरी लगने पर पहली सैलरी से मंगाया था। तब से परिवार की तीसरी पीढ़ी का भी रेडियो के साथ जुड़ाव है। वह रेडियो को अपने बचपन के दोस्त के रूप में पाते हैं।
कहते हैं यह न सिर्फ मनोरंजन करता है बल्कि ज्ञान भी देता है। वह आज भी सोने से पहले संगीत सुनना पसंद करते हैं। उन्होंने 1990 में नया सवेरा श्रोता संघ भी बनाया था। कहते हैं कि उनका पसंदीदा रेडियो चैनल आकाशवाणी रामपुर, नजीबाबाद, दिल्ली का इंद्रप्रस्थ, राष्ट्रीय प्रसारण सेवा, विविध भारती, रेडियो सिलोन आदि हैं।
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