नैनीताल: नैनी झील का जलस्तर कम होने पर बढ़ेगी पेयजल समस्या

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Published By Shweta Kalakoti
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बारिश बर्फबारी न होने से वनाग्नि की घटनाओं में हो सकती है बढ़ोतरी

नैनीताल, अमृत विचार। 15 फरवरी के बाद भी नगर में ठंड, बारिश, बर्फबारी गायब है। इसके चलते फरवरी में ही अप्रैल माह वाली गर्मी का एहसास होने लगा है। हालांकि नैनीताल में पूरे वर्ष भर सुबह शाम ठंड रहती है, लेकिन इस बार बर्फबारी नहीं होने से जहां प्राकृतिक जल स्रोत सूखने के कगार पर आ चुके हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि झील के स्तर में भी कमी आ रही है। इस बार अभी से भीषण गर्मी के भी संकेत मिलने लगे हैं, जो कि नैनीताल के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

बारिश व बर्फबारी नहीं होने के चलते जमीन पूरी तरह से गर्म हो चुकी है। इससे फायर सीजन के दौरान जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ जंगली जानवरों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि वनाग्नि को रोकने के लिए वन विभाग ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।

 
वन विभाग ने कसी कमर

नैनीताल वन प्रभाग के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि चाइना पीक, नगर पालिका, कोसी, दक्षिणी गौला, बड़ौन, नैना, मनोरा, भवाली, उत्तरी गौला, नथुवाखान समेत कई अन्य क्षेत्रों में सेंसर युक्त फायर डेंजर रेटिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। जो जंगलों की आर्द्रता बढ़ते ही अग्नि नियंत्रण कक्ष को अलर्ट करेंगे और वन कर्मी इसकी सूचना पर आसपास के जंगलों को आग से बचाने के काम में जुट जाएंगे।

 
पिछले वर्ष पड़ी थी रिकॉर्ड ठंड

बता दें कि बीते वर्ष अब तक तीन बार बर्फबारी चुकी थी और रिकॉर्ड ठंड ने लोगों को घरों में दुबके रहने पर मजबूर कर दिया था। लेकिन इस वर्ष लोग अब तक ठंड बारिश व बर्फबारी की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं। बर्फबारी नहीं होने से काफी कम सैलानी नैनीताल पहुंच रहे हैं। इससे पर्यटन पर आधारित व्यापारियों के चेहरों पर हताशा देखने को मिल रही है।


काश्तकारों पर भी भारी मौसम की बेरुखी

बारिश व बर्फबारी नहीं होने से खेती भी संकट में है। नैनीताल के समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश लोगों की आजीविका खेती से जुड़ी है। इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में मटर, पालक, प्याज, गाजर और सभी हरी सब्जियों को लगाने का समय है। मगर बारिश नहीं होने से काश्तकार फसलों की बुआई तक नहीं हो पाई है। इससे काश्तकार मायूस हैं। 

 

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