लापरवाही: Universities की गलती का खामियाजा भुगतेंगे लाखों छात्र-छात्राएं, Scholarship से होंगे वंचित 

31 जनवरी तक लॉक नहीं किया अनुसूचित, सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग का डाटा

लापरवाही: Universities की गलती का खामियाजा भुगतेंगे लाखों छात्र-छात्राएं, Scholarship से होंगे वंचित 

अमृत विचार, लखनऊ। अनुसूचित जाति, सामान्य जाति, पिछड़ी जाति व अल्पसंख्यक वर्ग के लाखों स्नातक छात्र-छात्राएं वर्ष 2022-23 की दशमोत्तर छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति योजना से वंचित होंगे। जिनका सरकारी विश्चविद्यालयों (एफिलियेटिंग एजेंसी) ने आवेदनों का डाटा 31 जनवरी तक लॉक नहीं किया है। जिसमें सैकड़ों डिग्री कॉलेज शामिल हैं। इधर, तय समय पर डाटा लाॅक न होने पर उच्च अधिकारियों ने विश्वविद्यालयों की लापरवाही पर कोई सख्त निर्देश नहीं दिए। जिससे की विश्वविद्यालयों की तरफ से सुधार किया जाता, बल्कि समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण के निदेशालयों से समय से भरे गए छात्र-छात्राओं के आवेदनों का डाटा एनआईसी के माध्यम से संबंधित जिले के अधिकारियों को नियमावली के तहत 10 मार्च तक निरस्त करने के निर्देश जारी किए हैं। जबकि छात्रवृत्ति के मामलों में निजी विश्वविद्यालय आगे रहे, जिन्होंने समय रहते डाटा लाॅक कर दिया, जिनके छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति मिलेगी। इन सभी विभागों का नोडल समाज कल्याण विभाग है, जो संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा है।

6

पहले डीआईओएस के हाथ में भी थी व्यवस्था
पहले छात्रवृत्ति के आवेदनाें का डाटा पोर्टल पर लॉक करने की व्यवस्था जिला विद्यालय निरीक्षक के पास थी। जो अपने स्तर से डिग्री कॉलेजों का डाटा लॉक करके एनआईसी को भेजते थे और एनआईसी के माध्यम से सत्यापन किया जाता था। लेकिन, इधर यह व्यवस्था संबंधित विश्वविद्यालयों को दे दी गई जहां से जिनकी मान्यता है। विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं की सीट, फीस व छात्रवृत्ति का डाटा लॉक करते हैं। 

ED की जांच , विभागों को फर्जीवाड़ा का डर
चर्चा है कि इधर छात्रवृत्ति में घोटाले की जांच ईडी कर रही है। शायद इसी कारण फर्जीवाड़े के डर से विश्वविद्यालयों ने छात्रवृत्ति के लाखों आवेदनों का डाटा लॉक कर आगे नहीं बढ़ाया है। जबकि इन्हीं विश्वविद्यालयाें ने कई डिग्री काॅलेजों का डाटा लॉक भी किया है। 

डीएम मेरठ ने पुन: सत्यापन के लिए लिखा पत्र
छात्र-छत्राओं ने समय से आनलाइन आवेदन किए थे। जिन्हें विश्वविद्यालयों की गलती कहें या उच्च अधिकारियों की जिसके कारण लाभ नहीं मिलेगा। मेरठ में ऐसे 5349 आवेदनों का डाटा निरस्त करना है। वहां के जिलाधिकारी ने छात्र-छात्राओं के हित का हवाला देते हुए प्रमुख सचिव समाज कल्याण को पुन: सत्यापन कराने के लिए पत्र लिखा है। वहीं, कानपुर नगर में 3500, कानपुर देहात में 6 हजार व कन्नौज में 10 हजार के करीब आवेदन निरस्त होने हैं। 

वर्जन-
एफिलियेटिंग एजेंसियों द्वारा समय पर डाटा लॉक नहीं किया गया है। जिसे प्रमाणित नहीं मान सकते हैं। फर्जीवाड़े की भी आशंका रहती है। ऐसी स्थिति में नियमावली के तहत डाटा निरस्त करते हैं।
- सिद्धार्थ मिश्रा, सहायक निदेशक, समाज कल्याण विभाग