अमेरिका की चेतावनी

अमेरिका की चेतावनी

चीन-पाकिस्तान के साथ भारत के कटु रिश्ते को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तीनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ सकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव चिंता का विषय है।

अमेरिकी खुफिया तंत्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी उकसावों की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत पहले की तुलना में अधिक सैन्य बल के साथ जवाब देगा। खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित सीमा पर चीन द्वारा ‘सेना का विस्तार’ दो परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव के जोखिम को बढ़ाता है। ध्यान रहे चीन वैश्विक ताकत बनना चाहता है।

कुछ दिन पहले ही चीन ने अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी की थी। भारत की तुलना में चीन ने सैन्य बजट पर तीन गुना खर्च ज्यादा बढ़ाया है। अमेरिका के बाद रक्षा पर चीन दूसरा सबसे बड़ा खर्च करने वाला देश है। ये लगातार आठवां साल है, जब चीन ने अपने सैन्य बजट में बढ़ोतरी की है।

हालांकि भारत-चीन सीमा विवाद को बातचीत के माध्यम से सुलझाने के प्रयास में लगे हैं। लेकिन 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष के बाद से दोनों के संबंधों की स्थिति गंभीर है। मई 2020 में दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद से चीन और भारत के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। 

भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। दोनों देशों ने गतिरोध को हल करने के लिए 17 दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की और 18वां दौर जल्द ही होने की उम्मीद है। उधर भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कश्मीर मुद्दे तथा सीमा पार आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं।

आतंकवादी समूहों का समर्थन करने के पाकिस्तान के इतिहास के साथ रिपोर्ट में इस बात की संभावना को स्वीकार किया गया है कि कथित या वास्तविक पाकिस्तानी उकसावों के लिए भारत पूरी सैन्य क्षमता के साथ जवाब देगा।

खुफिया विभाग का यह मूल्यांकन अमेरिकी खुफिया तंत्र के वार्षिक खतरे के आकलन का हिस्सा है, जिसे राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय द्वारा अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य कमांडर ने खुलासा किया है कि चीन के पास अमेरिका से ज्यादा अंतरमहाद्वीपीय लांचर हैं और उसके मिसाइलों की संख्या भी 1000 को पार कर गई है। कहा जा सकता है कि चीन की बढ़ती ताकत को लेकर अमेरिका ने दुनिया को बड़ी चेतावनी दी है।