बरेली: एसआईटी को चकमा दे रहे लल्ला गद्दी और सद्दाम, जेल अधिकारियों की बढ़ी मुश्किलें

बरेली: एसआईटी को चकमा दे रहे लल्ला गद्दी और सद्दाम, जेल अधिकारियों की बढ़ी मुश्किलें

बरेली, अमृत विचार। जेल में अशरफ के मददगार जेल अधिकारियों और बंदी रक्षकों की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं। वहीं अभी तक एसआईटी के हाथ लल्ला गद्दी और सद्दाम नहीं लगे हैं। वह लगातार टीम को चकमा दे रहे हैं। जिला जेल अफसरों और कर्मचारियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद एसआईटी ने सस्पेंड हुए अफसरों की संपत्ति का ब्यौरा जुटाना शुरु कर दिया है। चर्चा है कि अशरफ पर मेहरबानी के बदले में अफसरों को नकदी, उपहार और प्रॉपर्टी डीलर से इनाम मिला है। जांच में इसकी पुष्टि होने पर सस्पेंड हुए अधिकारी और बंदी रक्षाकों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

जिला जेल में माफिया अतीक के भाई अशरफ का जेल के अफसरों की मेहरबानी की वजह से जेल में राज चलता था। अशरफ अपनी मर्जी के मुताबिक जेल के कमरे में अपने गुर्गों से मुलाकात करता था। अशरफ जेल में बैठकर ही अपना पूरा गैंग चला रहा था। उमेश पाल हत्याकांड में भी अशरफ की अहम भूमिका सामने आई है। जिला जेल में ही उमेशपाल हत्याकांड की पूरी स्क्रिप्ट लिखी गई थी। जेल में हर सुविधा मिलने के बदले में अफसरों को इनाम दिया जाता है। जो डीआईजी जेल आरएन पांडेय की जांच में साफ हो चुका है।

प्रभारी डीआईजी की जांच में जिला जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला, जेलर राजीव मिश्रा, डिप्टी जेलर कृष्ण मुरारी गुप्ता, डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह, जेल वार्डर (सिपाही ) शिवहरि अवस्थी, मनोज गौड़, ब्रजवीर सिंह,दानिश व दलपल सिंह को दोषी बताया गया है। इस मामले में सोमवार को डीआईजी जेल आरएन पांडेय की रिपोर्ट पर जेलर राजीव मिश्रा, डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह, जेल वार्डर (सिपाही) शिवहरि अवस्थी, मनोज गौड़, ब्रजवीर सिंह, दानिश व दलपल सिंह को सोमवार की शाम सस्पेंड कर दिया गया था। इसके साथ ही सभी के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरु हो गई है। इसी को लेकर एसआईटी ने अब आरोपी जेल अधिकारियों की संपत्ति की जांच शुरु कर दी है। एसआईटी बैंक एकाउंट, बीते दो तीन साल में खरीदी गई संपत्ति समेत कई दिशा में जांच पड़ताल कर रही है।

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