बरेली: अब कटरी में गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं खुशियों की फसल उग रही, कल्लू की मौत के बाद बदले हालात

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में बरेली मंडल के शाहजहांपुर जनपद में कभी आतंक का दूसरा नाम कहे जाने वाले कटरी किंग दस्यु सरगना कल्लू यादव की मौत के बाद कटरी शांत हो गया है। शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद जिले में कायमगंज की कटरी के किन्नरनगला क्षेत्र से लेकर रामगंगा कटरी में कल्लू का खौफ था। 20 पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले कटरी किंग कल्लू की मौत के बाद अब कटरी के हालात बदल रहे हैं। यहां आसपास के गांव के लोग भी अब जागरूकता के कारण लड़ाई-झगड़ा छोड़कर आपसी भाईचारा से रह रहे हैं।

धीरे-धीरे यहां पहले जैसी होने वाली वर्चस्व की यह जंग अब खत्म हो गई है। अब बरेली की रामगंगा कटरी की जमीन पर तरबूज, खीरा , तुरई, लाटा, अनाज आदि की खेती हो रही है और यहां के रहने वाले अब गोलियों की तड़तड़ाहट को भूलकर बेखौफ खेती कर रहे हैं।  

बतातें चलें, परौर थाना क्षेत्र के पूरन नगला गांव निवासी कल्लू यादव साल 2006 से पहले शाहजहांपुर व बदायूं सीमा के पास रामगंगा की कटरी पर राज करता था।  पुलिस के मुताबिक, साल 2006 में पुलिस मुठभेड़ में कल्लू मारा गया था। तभी से लगातार उसकी दहशत वाले कटरी में शांति ने अपना घर बना लिया। अब यहां के किसान खेती और मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं। जिले के कई गांव कलूआ की दहशत से मुक्त हो चुके हैं। 

कटरी की उपजाऊ भूमि पर भू-माफियाओं की नजर
कटरी की यह जमीन अब सोने के अंडे देने वाली उपजाऊ भूमि बन गई है। जिस कारण यह इलाका बीते करीब 5-6 साल से स्थानीय भू-माफियाओं के लिए सोने का अंडा देने वाला दिखाई देने लगा है। जिस कारण स्थानीय गैंगस्टर्स-भू माफियाओं को जैसे ही पता चला कि, गंगा खादर में मौजूद हजारों हेक्टेअर जमीन का कोई माई-बाप सरकारी दस्तावेंजों से बाहर है ही नहीं, तो उन्होंने नजरें यहां की रेतीली-बंजर जमीन पर गड़ गईं। आसपास गांव के लोगों ने कुछ जमीनों में ईख और खरबूज-तरबूज की खेती करनी शुरू कर दी। भू-माफियाओं की नजर यंहां की जमीन पर है। इस का कारण भी इस क्षेत्र में सुरेश प्रधान व सरदार परमवीर सिंह के बीच हुई गैंगवार है।

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