बच्चे के दूध के दांत सड़ रहे हैं तो कराएं इलाज, टूटने का न करें इंतजार

बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज में पीडोडोंटिक्स विभाग में व्याख्यान का हो रहा आयोजन

बच्चे के दूध के दांत सड़ रहे हैं तो कराएं इलाज, टूटने का न करें इंतजार

बरेली: अमृत विचार। बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज में पीडोडोंटिक्स विभाग की ओर से बुधवार को भी व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें अभिभावकों को सलाह दी कि यदि बच्चे के दूध के दांत सड़ रहे हों तो इलाज कराएं न कि उनके टूटने का इंतजार करें।

इस मौके पर कॉलेज प्राचार्य डॉ. सत्यजीत नाइक ने बताया कि बच्चों के दांत में सड़न होने के 18 से 24 महीने बाद दर्द शुरू होता है, जबकि इस दौरान उसके अन्य दांतों और मसूड़ों में सड़न फैलती रहती है। दूध के दांत 7 से 8 साल के बीच टूटने शुरू हो जाते हैं। जबकि सड़न की शिकायत तीन से चार साल के बीच शुरू हो जाती है।

अगर बच्चे की उम्र पांच साल से कम है और उसके दांतों में सड़न है तो इसे नजरअंदाज न करें। अभिभावक सोचते हैं कि दूध के दांत समय पर टूट जाएंगे और फिर अच्छे दांत आ जाएंगे। आपकी यह सोच बच्चे को गंभीर मर्ज का शिकार बना सकती है। सड़े हुए दांत में बनने वाला पस भोजन के साथ पेट में जाकर बच्चे को बीमार कर सकता है।

सड़े दांतों की वजह से उसके बाद आने वाले दांत की जड़ भी कमजोर व खराब हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि सड़न का समय रहते इलाज कराया जाए। सड़न की स्थिति में बच्चों के दांतों में भी फिलिंग कर उसे बचाने का प्रयास किया जाता है। इन बातों का ध्यान रखें कि बच्चों को बोतल के बजाय चम्मच, कटोरी या गिलास से दूध पिलाना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान खानपान में कैल्शियम, विटामिन, फाइबर वाले आहार को प्रमुखता दें।

दांतों में कीड़ा लगने की वजह

-नियमित ब्रश न करना।
-जरूरत से ज्यादा मीठी चीजें खाना।
- ज्यादा गर्म चीजें खाना।
- फास्ट फूड या ऑयली चीजें खाना।
- टॉफी, कैंडी, चॉकलेट खाना।
- खाने से पर्याप्त न्यूट्रिशन न मिलना।
-कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन की कमी होना।

यह भी पढ़ें- बरेली: ससुरालियों ने महिला और उसके भाई को पीटा, पीड़िता ने लगाई न्याय की गुहार