बदायूं: चौंकाने वाले आ सकते हैं नगर निकाय चुनाव के परिणाम, आखिर किसके सिर पर सजेगा ताज?
संजय श्रीवास्तव, बदायूं। नगर निकाय चुनाव के लिए मतदान होने के बाद जिस तरह तस्वीर उभर कर आई है, उससे यह तय माना जा रहा है कि जिले भर में परिणाम चौंकाने वाले आएंगे। नगर पालिका परिषद क्षेत्रों में कम मतदान होना भी सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। बदायूं शहर में भाजपा प्रत्याशी दीपमाला गोयल और सपा समर्थित फातिमा रजा के बीच कड़ा मुकाबला रहा है, यहां के परिणाम को लेकर लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे है।
आधे से भी कम मतदान होना भाजपा के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। वहीं, उझानी में भी भाजपा को जीत आसानी से नहीं मिलने वाली। उझानी और बिल्सी में भी सपा समर्थित ने भाजपा प्रत्याशियों को सीधी टक्कर दी है। दातागंज में भी भाजपा और सपा प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है। वजीरगंज समेत कई नगर पंचायातें में बागिगयों से भाजपा प्रत्याशियों का कड़ा मुकाबला है। इन स्थानों पर परिणाम को लेकर कुछ कहना मुश्किल होगा। वहीं, मुस्लिम बाहुल्य ककराला और सहसवान में भी मुकाबला खासा रोचक रहा है। हालांकि ककराला में भाजपा प्रत्याशी मजबूत माना जा रहा है, लेकिन सहसवान में कुछ भी हो सकता है।
शनिवार को निकाय चुनाव के मतों की गिनती होगी, लेकिन राजनीतिक हलकों में चुनाव परिणामों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुक्रवार को दिनभर चलती रहीं। नगर पालिका परिषद क्षेत्रों में मतदाताओं ने मतदान के प्रति जागरूकता नहीं दिखाई जितनी नगर पंचायतों के मतदाताओं ने बंपर मतदान किया। बदायूं नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के लिए भाजपा ने निवर्तमान चेयरमैन दीपमाला गोयल को मैदान में उतारा है। पार्टी प्रत्याशियों की जीत के लिए सात मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदायूं के इस्लामियां इंटर कालेज में जनसभा की थी।
एक तरह से सीएम ने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की। मगर पिछले पांच सालों में विकास और साफ सफाई न होने से सीएम भी पब्लिक का मूड नहीं बदल पाए। मतदान के दौरान 11 मई को जो तस्वीर उभरकर सामने आई वह भाजपा के लिए अधिक उत्साहित करने वाली नहीं है। इसकी वजह है कि शहर में 50 प्रतिशत के कम मतदान हुआ है। मतदान केंद्रों पर लगी लाइनों में अधिकांश भीड़ मुस्लिम मतदाताओं की नजर आई, जो सपा के परंपरागत वोटर माने जाते हैं।
शहर भर में इस बात की चर्चा है ज्यादातर मुस्लिम मतदाताओं ने सपा समर्थित पूर्व राज्यमंत्री आबिद रजा की पत्नी व पूर्व चेयरमैन फात्मा रजा के पक्ष में मतदान किया है। हालांकि भाजपा इस प्रयास में रही मुस्लिम वोटरों का झुकाव सपा की दूसरी समर्थित प्रत्याशी नाजनी की ओर ज्यादा रहे। पार्टी के कुछ लोग ऐसा मान भी रहे हैं। इसका फायदा भी निश्चित तौर पर भाजपा को मिल सकता है। उधर, फात्मा रजा के पति व पूर्व राज्यमंत्री आबिद रजा ने हिंदू मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए काफी प्रयास किए और कुछ हद तक वह अपने मकसद में सफल भी रहे।
इसीलिए वह फात्मा रजा की जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। उनका मानना है कि मुस्लिमों के साथ बड़ी संख्या में हिंदू मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतदान किया है। वही, उनकी जीत का आधार रहेगा। फातिमा राजा का मानना है कि निवर्तमान चेयरमैन से शहर की जनता अंदर नाराज रही है। उनकी गलत नीतियों से शहर का विकास नहीं हो पाया और जनता पर बेवजह की टैक्स लाद दिए गए, जिसका बदला वोटरों ने अपने मत की ताकत से लिया है। हालांकि, भाजपा प्रत्याशी दीपमाला गोयल भी अपनी जीत को पक्का मान रही हैं। उनका भी यह मानना है कि उन्हें भाजपा का परंपरागत वोटों के अलावा हिंदू मतदाताओं समेत समाज के हर वर्ग का वोट मिले हैं। उनके अनुसार जीत का अंतर कम हो सकता है।
उधर, भाजपा के लिए उझानी और बिल्सी नगर पालिका परिषद अध्यक्ष की सीट काफी प्रतिष्ठा पूर्ण रही है। उझानी की सीट हासिल करने के लिए भाजपा ने वहां के पूर्व मंत्री विमलकृष्ण अग्रवाल व उनकी पत्नी व निवर्तमान चेयरमैन पूनम अग्रवाल को पार्टी में शामिल किया गया। सपा में रहते उझानी की जनता ने लगातार तीन बार उन्हें अध्यक्ष बनाया है। मगर इस बार परिस्थितियां कुछ विपरीत मानी जा रही हैं।
उझानी के विषय में जानकारी रखने वालों का कहना है कि पूर्व में पूनम अग्रवाल को सपा के परंपरागत मुस्लिम वोट ज्यादा मिलते थे, जिसकी वजह से उनकी आसानी से जीत हो जाती थी। मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ, बल्कि समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट सपा समर्थित प्रत्याशी रजनीश गुप्ता को चला गया। इसी वजह से सपा समर्थित रजनीश गुप्ता से उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। लोगों का मानना है यदि मुस्लिम वोटरों ने सपा समर्थित रजनीश गुप्ता को वोट किया है और हिंदू मत भी उन्हें मिले होंगे तब यहां पर भी परिणाम चौंकाने वाला आ सकता है। हालांकि, यहां भी दोनों प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।
भाजपा के लिए बिल्सी नगर पालिका परिषद अध्यक्ष की सीट की काफी प्रतिष्ठा की बनी हुई है। पिछले चुनाव में भाजपा के अनुज वार्ष्णेय विजयी हुए थे। इस बार बिल्सी की सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित रही। भाजपा ने पूर्व चेयरमैन ओमप्रकाश सागर की पत्नी ज्ञानवती सागर को मैदान में उतारा। वहीं, समाजवादी पार्टी बिसौली क्षेत्र के विधायक आशुतोष मौर्य ने अपनी पत्नी सुषमा मौर्य ने यहां अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाया। सुषमा मौर्य पहले भी बिल्सी की चेयरमैन रह चुकी हैं।
बिल्सी में भाजपा और सपा समर्थित प्रत्याशी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। यहां पर भी दोनों प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे अवश्य कर रहे हैं। मगर यहां पर भी प्रणाम चौकानेवाले आने की उम्मीद है। बिसौली नगरपालिका में भाजपा के हरिओम पाराशरी वैसे तो मजबूत माने जा रहे हैं, लेकिन यहां पर भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। इसलिए उनकी राह भी आसान नहीं है। दातागंज नगर पालिका परिषद की सीट पिछड़ी जाति महिला वर्ग को आरक्षित रही।
भाजपा ने यहां पर नैना गुप्ता को टिकट दिया। इससे पहले भी दातागंज की सीट भाजपा के कब्जे में रही। भाजपा फिर से इस सीट को हासिल करने के लिए पूरे दमखम के साथ मैदान में रही। यहां भी भाजपा प्रत्याशी नैना गुप्ता का मुकाबला सपा के पूर्व विधायक प्रेमपाल सिंह यादव के बेटे अवनीश से रहा है। यहां सपा मुस्लिम मतदाताओं के सहारे मैदान में मजबूती के साथ लड़ी है। दातागंज में कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना समर्थन भाजपा को दे दिया था। अब यहां भी सपा और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला रहा है।
जिले में ककराला और सहसवान नगर पालिका क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। इन दोनों स्थानों पर भाजपा कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। इस बार भाजपा ने ककराला में मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां का चुनाव प्रभारी भी नाजिया आलम को बनाया गया, जो डा. हुदा के साथ मिलकर पूरे दमखम के साथ जुटी रहीं। इससे मुकाबला रोचक होता नजर हा रहा है। यहां पूर्व विधायक मुस्लिम खां भाजपा प्रत्याशी को टक्कर दे रहे हैं।
सहसवान में त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। यहां जीत किसी के पक्ष में जा सकती है। हालांकि यहां पर भाजपा उतनी मजबूत नहीं दिख रही है जितनी उसे उम्मीद रही है। इसी तरह जिले की 14 नगर पंचायतों में भी भाजपा प्रत्याशियों को अपने प्रतिनिधियों से कड़ी टक्कर मिली है। सभी स्थानों पर भाजपा से बागी होकर निर्दलय चुनाव लड़ने वाले या सपा समर्थित सीधी टक्कर दे रहे हैं। वजीरगंज में भाजपा के बागी राहुल वाष्र्णेय ने अपनी पत्नी शकुंतला वाष्र्णेय को मैदान में उतारा है। वह भाजपा के दीपेश वाष्र्णेय की पत्नी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि इस बार निकाय चुनाव में परिणाम काफी चौंकाने वाले सामने आएंगे। इसके पीछे लोगों का यह भी तर्क है कि पिछले कार्यकाल में अध्यक्षों ने विकास कार्य कराने के बजाय मनमाना तरीका अपनाया। मनमाने तरीके से लोगों पर हाउस टैक्स, वाटर टैक्स कई गुना ला दिया। जिसे लेकर लोगों में काफी नाराजगी है। वही नाराजगी परिणामों को बदल सकती है। खैर परिणाम चाहे जो भी हो शनिवार शाम तक मतगणना होने पर पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।
