अयोध्या: राम मंदिर में प्राकृतिक हवा और रोशनी के लिए बनी जालीदार दीवारें, सिंह द्वार से मिलेगा भगवान का दर्शन
अयोध्या/अमृत विचार। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राजस्थान के नक्काशीदार पत्थरों से भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि पूरी तरह प्राकृतिक हवा और रोशनीदार होगा। इसलिए मंदिर की दीवारों को सुंदर जालीदार बनाया जा रहा है। ट्रस्ट की मानें तो भगवान श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद कर दी जाएगी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा ने बताया कि प्रभु राम का मंदिर करोड़ों हिंदू समाज की भावनाओं का मंदिर है। मंदिर का नक्शा, ऊंचाई और चारों तरफ बनने वाला परकोटा अपने में अनोखा और अद्भुत है। मंदिर के निर्माण में एक जालीदार दीवार है।

सिंह द्वार से जब मंदिर में प्रवेश के लिए आगे बढ़ेंगे तो उसमे दोनों तरह की दीवार दिखेगी। उससे रोशनी भी आएगी और हवाएं भी। कोली मंडप की छत पड़ चुकी है। आगे गुढी मंडप पर छत का कार्य बढ़ रहा है। गर्भगृह में संगमरमर का काम चल रहा है। सिंहद्वार से भगवान का दर्शन प्राप्त होगा। गर्भगृह तक पहुंचकर प्रसाद प्राप्त होगा।
कर्नाटक और मुंबई से पहुंच रहे मूर्तिकार
अयोध्या में निर्माणाधीन राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठित की जाने वाली रामलला की मूर्ति निर्माण को लेकर भी कवायद तेज हो गयी है। मूर्ति बनाने वाले कारीगरों का भी अयोध्या आगमन शुरू हो गया है। कर्नाटक के बेंगलुरु, मैसूर के साथ राजस्थान और मुंबई के भी मूर्तिकार पहुंच रहे हैं। रामलला की अचल मूर्ति निर्माण को लेकर नेपाल सहित उड़ीसा, कर्नाटक व राजस्थान से कुल 12 पत्थर आए हैं। इनके परीक्षण का काम रामसेवकपुरम स्थित कार्यशाला में चल रहा है।
माह के अंत में होगी ट्रस्ट की बैठक
मूर्तिकार विपिन भदौरिया ने बताया कि जिन पत्थरों पर मूर्ति को आकार दिया जाना है उनकी साफ-सफाई भी पहले की जाएगी। इसके बाद पत्थरों से मूर्ति को तराशने का कार्य प्रारंभ होगा। उचित पत्थरों की सीधी कटिंग होगी, जिसके बाद उस पर तरासी का कार्य शुरू होगा। इसी माह के अंत में श्रीरामन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक भी होने जा रही है। बैठक में अचल मूर्ति निर्माण को लेकर अंतिम सहमति बन जाएगी
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