प्रयागराज : नए तर्कों के आधार पर ही दूसरी जमानत अर्जी पोषणीय

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरी जमानत अर्जी पर विचार करने के मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि बिना किसी नई और बदली हुई परिस्थितियों के एक अदालत को पिछली जमानत अर्जी को खारिज करने के अपने आदेश की अनदेखी करते हुए दूसरी जमानत अर्जी पर विचार करना उचित है या नहीं। कोर्ट ने आगे कहा कि हालांकि अभियुक्त की ओर से दूसरी जमानत अर्जी वर्जित नहीं है, लेकिन जमानत के आधारों पर विचार करने वाले कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है। पहली जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उपलब्ध नए आधारों पर अभियुक्त की दूसरी जमानत अर्जी पर विचार किया जाता है। यह नहीं कहा जा सकता कि दूसरी जमानत अर्जी सुनवाई योग्य नहीं होगी। इस तरह के जमानत आवेदन की पोषणीयता है, लेकिन जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार नए आधारों की उपलब्धता के अधीन होता है जो जमानत आवेदन को खारिज करने वाले पहले के आदेश की समीक्षा करते हैं।

न्यायालय ने यह भी कहा कि दूसरी जमानत अर्जी सुनवाई योग्य है, लेकिन जमानत की प्रार्थना पर विचार इस तथ्य पर निर्भर करेगा कि नए आधारों की दलील दी गई है या नहीं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकलपीठ ने राजकरण पटेल के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एक मामले में दाखिल दूसरी जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया। मामले के अनुसार पीड़िता के पिता करुणापति पटेल अपने क्षेत्र के मामलों को हाईकोर्ट में दाखिल करने के लिए आवेदक के पास लाते थे। पीड़िता एलएलबी करने के बाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करना चाहती थी। इसी उद्देश्य से वह भी याची के पास आती थी। एलएलबी के प्रथम वर्ष में प्रवेश के बाद पीड़िता याची पर अपने पुत्र शिवराज पटेल से शादी करवाने का दबाव बनाने लगी, साथ ही उसे अपने जूनियर के रूप में उच्च न्यायालय में स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा, जबकि उसके पास डिग्री और बार काउंसिल में पंजीकरण नहीं है।

विवाह के मुद्दे पर अपनी पत्नी और पुत्र से चर्चा करने के बाद याची ने रिश्ते से इंकार कर दिया, जिससे उनके बीच संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। पीड़िता और उसके पिता ने अन्य वकील को नियुक्त करने के लिए सभी फाइलों को वापस करने के लिए कहा, जिसे पीड़िता के माध्यम से प्रबंधित किया जाएगा। इस पर याची ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह मुवक्किलों की सहमति के बाद ही उन्हें वापस करेगा। इस पर पीड़िता के पिता ने याची को आपराधिक मामलों में झूठा फंसाने सहित गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि जहां तक पीड़िता के झूठे बयान और याची को बदनाम करने का प्रश्न है, उस संबंध में कोई नया तर्क या साक्ष्य नहीं दिया गया है। अतः उपरोक्त मामले की स्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। मालूम हो कि पीड़िता के पिता ने 7 अप्रैल 2021 को सिविल लाइन थाना, प्रयागराज में याची और सह अभियुक्त सिपाही लाल शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया था। प्राथमिकी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के नजदीक एलिया लॉ एजेंसी के पास से याची और उसके सहयोगी द्वारा पीड़िता का अपहरण कर लिया गया था।

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