गंगा दशहरा : पवित्र जल में नहीं लगा सकेंगे आस्था की डुबकी, तीर्थ पुरोहितों की बढ़ी चिंता

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Published By Jagat Mishra
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मिथिलेश त्रिपाठी / प्रयागराज, अमृत विचार। हिन्दू धर्म में गंगा नदी को आस्थावान मां मानते हैं और इसके पूजन, स्नान और आचमन से खुद को मोक्ष मिलने की बात कहते हैं। गंगा स्नान से जुड़ा पर्व गंगा दशहरा कल यानी 30 मई को है और तीर्थराज प्रयाग में इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी गंगा में लगते हैं। इस सबके बीच संगमनगरी प्रयागराज में गंगा की धारा कम होने और जलधारा सूखने से फाफामऊ से संगम के बीच गंगा नदी का स्वरूप ही बदल गया है। इससे संगम और आसपास के घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने और आचमन करने लायक भी जल नहीं रह गया है। इसे लेकर गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं, तीर्थपुरोहितों और संतों की चिंता बढ़ गई है।
 
गंगा दशहरा की तैयारी पूरी हो चुकी है। गंगा और संगम किनारे आयोजित होने वाल उत्सव में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी भाग लेंगे। गंगा दशहरा के लिए यमुना में सैकड़ों क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज बढ़ाया गया है। पर्व से पहले गंगा में जल तेजी से घट रहा है। वर्तमान में कानपुर बैराज से सिर्फ 1650 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। मथुरा की तरह प्रयागराज में भी भक्त गंगा में डिस्चार्ज बढ़ाने की उम्मीद लगाए थे, लेकिन हो गया उल्टा बीते 23 मार्च को कानपुर बैराज से गंगा में 2050 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। सात दिन में बैराज से गंगा में डिस्चार्ज 500 क्यूसेक घट गया।

सिंचाई विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में नरोरा बैराज से एक हजार क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है। सिंचाई विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि कानपुर बैराज से गंगा में डिस्चार्ज बढ़नी की संभावना नहीं है। क्योंकि हरिद्वार, नरोरा और कानपुर बैराज में पानी नहीं है। अब बारिश के बाद ही गंगा में बैराजों से डिस्चार्ज और जलस्तर बढ़ेगा।

श्रद्धालुओं का क्या है कहना
संगम में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि संगम नगरी आस्था की नगरी ही। गंगा का जल कभी गन्दा नही हो सकता है। रही बात स्नान की तो लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। आस्था में कमी नही आएगी।

 

वर्जन-

27 (18)
प्रयागराज आस्था की नगरी है। यहां गंगा का जल अविरल और निर्मल है। कितना भी जल कम हो, लोग स्नान करेगे। एक बात और गंगा का जल कभी अपवित्र नहीं हो सकता है।
अनामिका चौधरी, प्रदेश मंत्री भाजपा, प्रदेश संयोजिका, गंगा विचार मंच, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

वर्जन-

28 (20)
गंगा हमारी प्राण है, हमारी आस्था है। जिससे हमें कोई विरत नही कर सकता है। लेकिन जल कम और प्रदूषित होना चिंता का विषय है। ऐसे में कम जल और प्रदूषित जल में स्नान करना मेरे समझ से उचित नही है। 
स्वामी माधवानन्द महराज, प्रयाग पीठाधीश्वर 

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