प्रयागराज : विकास दूबे के सहयोगी जयकांत वाजपेयी की जमानत याचिका खारिज

प्रयागराज : विकास दूबे के सहयोगी जयकांत वाजपेयी की जमानत याचिका खारिज

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चर्चित बिकरू हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दूबे की सहायता करने के आरोपी जयकांत बाजपेयी उर्फ जय की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति और अपराध की मात्रा गंभीर और जघन्य है। आरोपी का जघन्य प्रकृति के मामलों का आपराधिक इतिहास रहा है। आरोपी उस घटना में सक्रिय रूप से शामिल है, जिसमें सर्कल ऑफिसर, बिल्हौर सहित आठ पुलिस कर्मियों की निर्दयता से हत्या कर दी गई थी और सात अन्य पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटें आई थीं। आरोपी ने विकास दूबे को घटना में प्रयुक्त 2 लाख रुपए और 25 कारतूस दिए। इसके अलावा आरोपी ने सबसे जघन्य अपराधों में से एक को अंजाम देने के बाद अगले गंतव्य तक सुरक्षित यात्रा के लिए मारे गए आरोपी विकास दूबे को वाहन प्रदान किया।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने चौबेपुर थाना, कानपुर नगर में आईपीसी की विभिन्न धाराओं,आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 एवं विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। उपरोक्त आदेश 16 मई 2023 को सुरक्षित किया गया था और 30 मई 2023 को जारी किया गया। प्राथमिकी के अनुसार 1 जुलाई 2020 को शिकायतकर्ता राहुल तिवारी के साथ आरोपियों ने मारपीट की और उसका अपहरण कर लिया। वह किसी तरह वहां से भाग निकला। जब वह विकरू मोड़, बेला रोड पर पहुंचा तो विकास दूबे ने उस पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। हालांकि उसे कोई चोट नहीं आई। दिनांक 2 जुलाई 2020 को दर्ज प्राथमिकी में नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय कुमार तिवारी के नेतृत्व में पुलिस  बिकरू पहुंची,तब मौजूदा प्राथमिकी में नामजद और अनाम आरोपियों ने पुलिस अधिकारियों पर हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस हृदयविदारक घटना में 8 पुलिसकर्मी मारे गए और 7 पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आई थीं। आरोपियों ने पुलिस कर्मियों से हथियार भी लूट लिए थे।

याची के बारे में बिकरू हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दूबे ने उस वक्त बताया था, जब उसे उज्जैन से कानपुर नगर लाया जा रहा था। उज्जैन से कानपुर नगर की यात्रा के दौरान जांच अधिकारी ने उससे पूछताछ की थी। इसके अलावा सह आरोपी प्रशांत कुमार शुक्ला और विपुल दूबे ने भी विकरू हत्याकांड में वर्तमान याची की सक्रिय संलिप्तता बताई थी। जांच अधिकारी द्वारा याची का बयान भी दर्ज किया गया था, जिसमें उसने स्वीकार किया था कि उसने विकास दूबे को पैसा और गोला-बारूद उपलब्ध कराया था, साथ ही घटना के बाद उसकी सुरक्षित यात्रा के लिए उसे वाहन भी उपलब्ध कराया था। आरोपी के खिलाफ अपर शासकीय अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मुख्य अभियुक्त विकास दूबे का बयान एक मृत व्यक्ति का बयान है, जिसे साक्ष्य देने के लिए नहीं पाया जा सकता है। अत: उसका कथन वर्तमान आवेदक के विरुद्ध साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 32(3) के अधीन विचार किया जाना चाहिए। उक्त पृष्ठभूमि के आधार पर आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

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