Pakistan में 1.3 लाख से ज्यादा शरणार्थियों को पुनर्वास की आवश्यकता, UNHCR का अनुमान

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Published By Priya
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इस्लामाबाद। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने कहा है कि पाकिस्तान में अगले वर्ष लगभग 1.34 लाख शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के पुनर्वास की आवश्यकता होगी। पाकिस्तानी समाचारपत्र डॉन ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक ‘2024 के लिए अनुमानित वैश्विक पुनर्वास आवश्यकता आकलन’ के अनुसार, यूएनएचसीआर ने पाकिस्तान में अगले वर्ष शरणार्थी पुनर्वास में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पाकिस्तान, ईरान, बांग्लादेश और मलेशिया सबसे बड़े शरणार्थी-मेजबान देश हैं और उन्होंने शरणार्थी प्रतिक्रिया में जिम्मेदारी-साझाकरण और ठोस योगदान की आवश्यकता पर अनेक बार प्रकाश डाला है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, मेजबान देशों से पुनर्वासित शरणार्थी कुल आबादी एवं आवश्यकताओं का एक छोटा सा हिस्सा हैं, आबादी में सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोगों को समर्थन प्रदान करने और प्राप्त करने के लिए तीसरे देशों की भागीदारी को मेजबान देशों से मान्यता प्राप्त है और यह यूएनएचसीआर के लिए व्यापक सुरक्षा में शामिल होने का रास्ता खोलते हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में अफगानिस्तान के 52 लाख लोग शरणार्थियों के रूप में या शरणार्थी जैसी स्थिति में रह रहे हैं। ये प्रमुख रूप से पाकिस्तान और ईरान में शरणार्थी हैं, जो पहले से ही मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति से जूझ रहे हैं और 2023 के अंत तक इनकी संख्या बढ़ सकती है। पाकिस्तान सबसे बड़ा शरणार्थी प्रदान करने वाले देशों में से एक है, जो 30 लाख से ज्यादा अफगानों को शरण दे रहा है। पाकिस्तान ने 1951 के कन्वेंशन और 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किया है और उसके पास राष्ट्रीय शरणार्थी प्रणाली नहीं है।

 पाकिस्तान में हालांकि अफगान शरणार्थियों को सुरक्षा एवं सहायता का प्रावधान सामान्य रूप से अंतरराष्ट्रीय मानकों और पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के अंतर्गत है। यूएनएचसीआर पाकिस्तान के अनुसार, बड़ी संख्या में महिलाएं जोखिम वाले और एकल अभिभावक वाले परिवार हैं जिनके पास पर्याप्त सुरक्षा और साधनों की कमी है। महिला-प्रधान परिवार ज्यादा जोखिम में हैं और समग्र सुरक्षा वातावरण, औपचारिक श्रम तक पहुंच में कमी और परिवार या सामुदायिक समर्थन सीमित होने के कारण आत्मनिर्भर बनने के लिए लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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